देहरादून 11 फरवरी 2022,
दिल्ली: भारत में कोरोना टीकाकरण अभियान अन्य देशों के मुकाबले तेजी से चलाया जा रहा है। इसके तहत देश की 96 प्रतिशत आबादी को अभी तक वैक्सीन की पहली खुराक दी जा चुकी है, जबकि 75 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को दो खुराक दी जा चुकी हैं। कोरोना वैक्सीन विकसित करने और उसके उत्पादन के क्षेत्र में भारत विश्व के अग्रणी देशों की श्रेणी में है।
इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च “आइसीएमआर” के महानिदेशक डा. बलराम भार्गव ने बताया कि मैसेंजर आरएनए “एमआरएनए ” वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के तीन चरण पूरे हो चुके हैं। यह वैक्सीन कोरोना संक्रमण से बचाव के अतिरिक्त भविष्य में अन्य बीमारियों के इलाज के लिए भी इस्तेमाल हो सकेगी। अगर हमारी संस्थाओं के कार्यो को देखा जाए तो हमें यह कहने में कोई शक नहीं कि हम जल्द ही वैक्सीन के सुपर पावर होंगे। यह वैक्सीन कोरोना के अन्य वैरिएंट्स पर प्रभावी होने के साथ-साथ अन्य बीमारियों को रोकने में कारगर होगी।
एमआरएनए वैक्सीन के महत्व को स्पष्ट करते हुए नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डा. वीके पाल ने कहा, हमें इस तरह की वैक्सीन की जरूरत है। यह वैक्सीन का नया प्लेटफार्म है। हमने इस प्लेटफार्म पर वैक्सीन विकसित होते हुए देखी है। कोरोना वायरस को रोकने के लिए इस तरह की वैक्सीन बनाई गई है। दुनिया में यह प्रयोग सफल रहा है। यह वैक्सीन प्रभावी रही है। यह वैक्सीन मानवता के लिए उपहार स्वरूप है। इससे हर वैरिएंट के कोविड को रोकने में मदद मिली है। भविष्य में होने वाली बीमारियों को इस तरह से रोकने की राह मिली है। भारत में पुणे की कंपनी जेनोवा बायो फार्मास्युटिकल्स ने इस दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया है।