October 31, 2025

54वें आईएफएफआई में प्रतिष्ठित आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक के लिए दस फिल्मों में प्रतिस्पर्धा।

दिल्ली: 54वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) में प्रतिष्ठित आईसीएफटी- यूनेस्को गांधी पदक के लिए नामांकित और प्रतिस्पर्धा करने वाली दुनिया भर की दस फिल्मों का प्रदर्शन विभिन्न महोत्सव स्थलों पर किया जा रहा है। यूनेस्को समर्थित आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक श्रेणी महात्मा गांधी के प्रासंगिक आदर्शों और विचारों को समाहित करती है जो गांधी के दर्शन को प्रतिध्वनित करता है, और सद्भाव, समझ और शांति में निहित दुनिया की वकालत करता है। महात्मा गांधी के प्रासंगिक आदर्शों को आत्मसात करते हुए यूनेस्को आईसीएफटी फिल्में 54वें आईएफएफआई में शांति, सहिष्णुता, अहिंसा और करुणा के दूत के रूप में उभरीं हैं।

आईसीएफटी-यूनेस्को गांधी पदक हेतु प्रतिस्पर्धा के लिए शॉर्टलिस्ट की गई ये सिनेमाई कृतियां प्रकाशस्तंभ के रूप में सामने आती हैं, जो शांति, सहिष्णुता, अहिंसा और करुणा के सिद्धांतों के प्रति हमारी चेतना को फिर से जागृत करती हैं, खासकर संघर्ष और अराजकता से घिरी इस दुनिया में।

इस वर्ष दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से आई दस उल्लेखनीय फिल्में इस पुरस्कार के लिए प्रतिस्पर्धा में शामिल हैं।

1. मुयाद अलायन (फिलिस्तीन, ब्रिटेन, जर्मनी, नीदरलैंड, कतर, 2022) की फिल्म ‘ए हाउस इन यरूशलेम’:-

यह फिल्म यरूशलेम में परस्पर विरोधी संस्कृतियों और मान्यताओं की पृष्ठभूमि में मानव संबंधों की जटिलताओं की पड़ताल करती है। फिल्म शहर के ऐतिहासिक और राजनीतिक तनाव के बीच लोगों के संघर्षों व आकांक्षाओं पर आधारित है।

2. टिनातिन कजिशविली (जॉर्जिया, 2023) की फिल्म ‘सिटीज़न सैंट’:-

यह फिल्म जॉर्जिया में स्थापित सामाजिक चुनौतियों के बीच नैतिक अखंडता को बनाए रखने का प्रयास करने वाले एक व्यक्ति के जीवन की कहानी है। इसमें व्यक्तिगत बलिदान और धार्मिकता की खोज का मार्मिक चित्रण किया गया है।

3. एंथनी चेन (यूके, फ्रांस, ग्रीस, 2023) फिल्म ‘ड्रिफ्ट’:-

यह फिल्म विभिन्न देशों में जीवन को जोड़ने वाली कथा है जो पहचान, अपनेपन और लोगों से लोगों के जुड़ाव की तलाश के बारे में है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे जीवन की अनिश्चितताओं के बीच किसी से अप्रत्याशित बंधन हो सकते हैं।

4. एपोलिन ट्राओरे (फ्रांस, जर्मनी, सेनेगल, 2023) की फिल्म “इट्स सिरा”:-

एक बहु-सांस्कृतिक नज़रिए से, यह फिल्म सहनशीलता की एक कहानी है जो भौगोलिक और सांस्कृतिक सीमाओं से परे साझे मानव अनुभवों को रेखांकित करती है।

5. ओवे मस्टिंग (एस्टोनिया, 2022) की फिल्म ‘कालेव’:-

एस्टोनिया की पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म देश के सांस्कृतिक सार में डूबी एक जटिल कहानी है। इस फिल्म में राष्ट्रीय इतिहास के साथ जुड़ी व्यक्तिगत यात्राओं को दिखाया गया है, जो व्यक्तिगत और सामूहिक पहचान के अंतर्निहित ताने-बाने को दर्शाता है।

6. पॉल फौजान अगस्ता (इंडोनेशिया, 2022) की फिल्म ‘द प्राइज’:-

इंडोनेशिया से आई यह फिल्म महत्वाकांक्षा की जटिलताओं और सफलता की खोज में गोता लगाती है। यह फिल्म उन नैतिक दुविधाओं की पड़ताल करती है जिनसे लोगों को पहचान बनाने और उपलब्धि की तलाश में सामना होता है।

7. जॉन टॉर्नब्लैड (स्वीडन, 2022) की फिल्म ‘द शुगर एक्सपेरिमेंट’:-

स्वीडन में बनी यह फिल्म सामाजिक मानदंडों और व्यक्तिगत विकल्पों पर प्रकाश डालती है। यह फिल्म इस बात की पड़ताल करती है कि सामाजिक संरचनाओं के साथ व्यक्तिगत प्रयोग स्थापित प्रतिमानों को कैसे चुनौती दे सकते हैं।

8. राकेश चतुर्वदी ओम (भारत, 2023) की फिल्म ‘मंडली’:-

भारत में बनी यह फिल्म दोस्ती, वफादारी और व्यक्तिगत विकास के परिदृश्य के परे जाने की कहानी है। इसमें रिश्तों की परिवर्तनकारी शक्ति और जीवन की वो यात्राएं शामिल हैं जो उत्प्रेरित करते हैं।

9. विष्णु शशि शंकर (भारत, 2022) की फिल्म ‘मलिकापुरम’:-

भारत में केरल के सांस्कृतिक परिवेश में बनी यह फिल्म सामाजिक अपेक्षाओं के बीच रिश्तों की पेचीदगियों को दर्शाती है। यह मानवीय रिश्तों के भावनात्मक पक्ष और उनके भीतर चलने वाले संघर्षों की कहानी है।

10. सायंतन घोसन (भारत, 2023) की फिल्म ‘रबीन्द्र काब्य रहस्य’:-

बंगाल की पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म रबींद्रनाथ टैगोर की कविता के सार को समाहित करती है, जो मानवीय भावनाओं और रिश्तों में निहित रहस्यों को उजागर करती है। ये बेहतरीन फिल्में दर्शकों को आकर्षित करने का दावा करती हैं जो हमारी दुनिया में “शांति” के महत्व को गहराई से मजबूत करते हुए सामूहिक कार्यों को प्रेरित करने, एक बेहतर दुनिया का निर्माण करने और मानवता के सार का उत्सव मनाने पर ज़ोर देती हैं।

महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि स्वरूप गांधी पदक की स्थापना आईसीएफटी पेरिस और यूनेस्को ने की। यह पदक आईएफएफआई में सालाना एक ऐसी फिल्म को दी जाती है जो महात्मा गांधी की शांति और अहिंसा की सोच को सबसे अच्छी तरह से प्रतिबिंबित करती है। 1994 में अपनी स्थापना के बाद से, इस पुरस्कार ने इन स्थायी मूल्यों को मूर्त रूप देने वाली फिल्मों को सम्मानित किया है।

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