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उत्‍तराखंड की जीएसडीपी में 11.19 प्रतिशत की वृद्धि, 5310 करोड़ का राजस्व सरप्लस - Separato Spot Witness Times
राजनीतिक राज्य समाचार

उत्‍तराखंड की जीएसडीपी में 11.19 प्रतिशत की वृद्धि, 5310 करोड़ का राजस्व सरप्लस

 

CAG 2024 प्रदेश के वित्त पर भारत के नियंत्रक एन महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट उम्मीद जगाने वाली है। वर्ष 2021-22 की तुलना में सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में 11.19 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2022-23 में उत्तराखंड में 5310 करोड़ रुपए का राजस्व अधिशेष (रेवेन्यू सरप्लस) रहा। वहीं कैग की रिपोर्ट बताती है कि सरकार खर्चों में कमी लाने काा निरंतर प्रयास कर रही है।

 

प्रदेश के वित्त पर भारत के नियंत्रक एन महालेखापरीक्षक (कैग) की रिपोर्ट उम्मीद जगाने वाली है। प्रदेश का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का आंकड़ा 03.02 लाख करोड़ रुपए को पार कर गया है। वर्ष 2021-22 की तुलना में इसमें 11.19 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इसी के अनुरूप राज्य के बजट का आकार भी निरंतर बढ़ रहा है।

 

यह 2018-19 के मुकाबले 10.59 प्रतिशत की वार्षिक औसत वृद्धि के साथ 71 हजार करोड़ रुपए को पार कर गया है। राहत की बात है कि निरंतर बढ़ रहे बजट के आकार के साथ ही राजस्व घाटा अब बीते दिनों की बात रह गया है। वर्ष 2022-23 में उत्तराखंड में 5310 करोड़ रुपए का राजस्व अधिशेष (रेवेन्यू सरप्लस) रहा। इसी के साथ राजकोषीय घाटे में भी कमी लाने में राज्य की मशीनरी सफल रही।

 

31 मार्च 2023 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के लिए तैयार की गई कैग की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018-19 में प्रदेश का राजस्व घाटा 980 करोड़ रुपए था। जो जीएसडीपी का 0.43 प्रतिशत था। इसके बाद पहली बार राजस्व घाटे को वर्ष 2021-22 में ने सिर्फ बड़े अंतर से समाप्त किया गया, बल्कि यह 4128 करोड़ रुपए सरप्लस भी रहा।

 

सरकार ने इस प्रदर्शन में और सुधार किया, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2022- 23 में राजस्व अधिशेष 5310 करोड़ रुपए पहुंच गया। वर्ष 2021-22 की तुलना में यह बढ़ोत्तरी 28.63 प्रतिशत पाई गई।

 

दूसरी तरफ राज्य के कुल व्यय और कुल गैर-ऋण प्राप्ति के बीच के अंतर के चलते होने वाले राजकोषीय घाटे को कम करने की दिशा में भी सरकार सफल रही। जो राजकोषीय घाटा वर्ष 2018-19 में 7320 करोड़ रुपए (जीएसडीपी का 3.18 प्रतिशत) था, वह अब वर्ष 2022-23 में घटकर 2949 करोड़ रुपए (जीएसडीपी का 0.97 प्रतिशत) रह गया है। यही कमी 21.07 प्रतिशत की रही।

 

कैग की रिपोर्ट बताती है कि प्रदेश सरकार खर्चों में कमी लाने की दिशा में भी निरंतर प्रयास कर रही है। हालंकि, वर्ष 2018-19 से वर्ष 2022-23 के बीच इसमें 5.78 प्रतिशत की दर से औसत वृद्धि दर्ज की गई है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा ब्याज भुगतान, वेतन, पेंशन आदि का है। फिर भी बीते तीन वर्षों में प्राप्तियों में बढ़ोतरी के चलते इसमें कुछ कमी पाई गई है।

 

वर्ष 2018-19 में यह कुल खर्चों का 66.46 प्रतिशत था और वर्ष 2022-23 में घटकर 58.94 प्रतिशत पर आ गया है। ब्याज, वेतन आदि वचनबद्धता वाले खर्चे सलाना 5.78 प्रतिशत की औसत दर से बढ़ रहे हैं। यह 21 हजार 396 करोड़ रुपए से बढ़कर 25 हजार 800 करोड़ रुपए पर पहुंच गए हैं।

 

उत्तराखंड सरकार का सार्वजनिक ऋण वर्ष 2018-19 से 2022-23 के बीच 6.71 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। हालांकि, पुनर्भुगतान में तेजी के चलते बकाया समग्र देनदारी 25.20 प्रतिशत से घटकर 24.08 प्रतिशत पर आ गई है।

 

कैग ने इसे ऋण स्थिरीकरण की दिशा में संकेत माना है। इसके अलावा राजकोषीय घाटा ऋण भी सीमा के अंतर्गत पाया गया है। फिसकल रिस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट (एफआरबीएम) अधिनियम के अनुसार ऋण सीमा जीएसडीपी के मुकाबले अधिकतम 33.90 प्रतिशत होनी चाहिए, जबकि यह 24.08 प्रतिशत पाया गया।

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