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2021-22 के लिए उपभोक्ता मूल्य आधारित खुदरा महंगाई दर के अनुमान को 5.3 फीसदी पर बरकरार रखा है: आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास। - Separato Spot Witness Times
अर्थ जगत

2021-22 के लिए उपभोक्ता मूल्य आधारित खुदरा महंगाई दर के अनुमान को 5.3 फीसदी पर बरकरार रखा है: आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास।

देहरादून 11 फरवरी 2022,

दिल्ली: मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन तक चली बैठक के बाद के आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने बृहस्पतिवार को कहा कि 2021-22 के लिए उपभोक्ता मूल्य आधारित खुदरा महंगाई दर के अनुमान को 5.3 फीसदी पर बरकरार रखा है। हालांकि, अर्थशास्त्रियों के सर्वे में कहा गया है कि जनवरी में खुदरा महंगाई छह फीसदी तक पहुंच जाएगी।

दास ने कहा कि फसल उत्पादन बेहतर रहने, आपूर्ति में सुधार को लेकर किए गए उपायों, ओमिक्रॉन को लेकर जोखिम कम होने और बेहतर मानसून की संभावना के साथ खुदरा महंगाई एक अप्रैल, 2022 से शुरू नए वित्त वर्ष में ही घटकर 4.5 फीसदी पर आने की संभावना है। महंगाई का यह अनुमान आरबीआई के संतोषजनक स्तर के काफी करीब है।

वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि से महंगाई के ऊपर जाने का अनुमान है। मुख्य महंगाई संतोषजनक दायरे के उच्च स्तर पर बनी हुई है। हालांकि, पिछले साल नवंबर में पेट्रोल और डीजल पर कर कटौती से कुछ हद तक कच्चे माल की लागत को लेकर दबाव कम रहने की उम्मीद है। दिसंबर में खुदरा महंगाई पांच महीने के उच्च स्तर 5.59 फीसदी पर पहुंच गई थी, जबकि नवंबर में 4.91 फीसदी रही थी।

आरबीआई ने कहा कि 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर 7.8 फीसदी रहेगी। यह चालू वित्त वर्ष के 9.2 फीसदी के पूर्वानुमान से कम है। वहीं, विकास दर अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 17.2 फीसदी, दूसरी तिमाही में 7 फीसदी, तीसरी तिमाही में 4.3 फीसदी और चौथी तिमाही में 4.5 फीसदी रह सकती है। वित्त मंत्रालय ने आर्थिक सर्वेक्षण में 2022-23 में 8-8.5 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान जताया है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि महामारी और वैश्विक स्तर पर कमोडिटी की कीमतों में तेजी को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। घरेलू आर्थिक गतिविधियों में सुधार का आधार अभी व्यापक होना बाकी है क्योंकि निजी खपत और संपर्क आधारित सेवाएं (होटल, पर्यटन आदि) महामारी पूर्व स्तर से नीचे हैं। वैश्विक वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव, कच्चे तेल सहित कमोडिटी की कीमतों में तेजी और वैश्विक आपूर्ति पक्ष की बाधाओं के कारण विकास दर पर जोखिम बना हुआ है।

डिजिटल रुपी पेश करने की समय-सीमा के सवाल पर दास ने कहा कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) को लाने में जल्दबाजी नहीं की जाएगी। हालांकि, उन्होंने इस पर कोई समय-सीमा देने से इनकार कर दिया। कहा कि इस पर सावधानी से काम चल रहा है। हम साइबर हमले के खिलाफ कई टेक्नोलॉजी और व्यवस्थाओं को देख रहे हैं। वहीं, डिप्टी गवर्नर ने कहा कि आरबीआई इस पर पिछले 18 से 24 महीने से काम रहा है। इस साल डिजिटल रुपी के डिजाइन फीचर और दूसरे पहलुओं को परखेंगे।

उन्होंने कहा कि डिजिटल रुपी के होलसेल और खुदरा इस्तेमाल पर काम चल रहा है। अकाउंट आधारित मॉडल को विकसित करना आसान होता है, जबकि टोकन आधारित मॉडल को विकसित करने में लंबा समय लगता है। किस मॉडल की जांच पहले की जाती है, इसका फैसला बाद में किया जाएगा।

आरबीआई ने आशंका जताई है कि क्रिप्टोकरेंसी अर्थव्यवस्था और वित्तीय स्थिरता के लिए खतरा है। इससे वित्तीय और व्यापक आर्थिक स्थिरता से जुड़े मुद्दों से निपटने की आरबीआई की क्षमता कमजोर होगी। उन्होंने कहा कि निवेशकों को सावधान करना उनका कर्तव्य है। उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि वे अपने जोखिम पर निवेश कर रहे हैं। निवेशकों को यह भी ध्यान रखना होगा कि क्रिप्टोकरेंसी में कोई अंतर्निहित मूल्य नहीं है। यह एक ट्यूलिप के बराबर भी नहीं है। 17वीं शताब्दी के ‘ट्यूलिप उन्माद’ को अक्सर असामान्य रूप से वित्तीय तेजी के उदाहरण के रूप में लिया जाता है, जहां किसी वस्तु की कीमत सट्टेबाजी सट्टेबाजी के कारण बहुत बढ़ जाती है, न कि अंतर्निहित मूल्य की वजह से। आरबीआई की यह टिप्पणी इसलिए अहम है क्योंकि सरकार ने बजट 2022 में क्रिप्टोकरेंसी से कमाई पर 30 फीसदी टैक्स लगाने की घोषणा की है।

आपात स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 50,000 करोड़ रुपये की नकदी सुविधा की अवधि 31 मार्च से तीन महीने बढ़ाकर 30 जून, 2022 कर दी गई है। योजना को लेकर मिली प्रतिक्रिया को देखते हुए इसकी अवधि बढ़ाई गई है। आरबीआई ने महामारी से संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े बुनियादी ढांचा और सेवाओं को मजबूत करने के लिए मई, 2021 में तीन साल की अवधि के लिए रेपो दर आधारित नकदी व्यवस्था की घोषणा की थी। इसके तहत बैंकों को तेजी से कर्ज देने को लेकर प्रोत्साहित करने के लिए कर्ज को 31 मार्च, 2022 तक प्राथमिक श्रेणी में रखा गया था। बैंकों ने 4 फरवरी, 2022 तक 9,654 करोड़ रुपये का अपना कोष महामारी से संबंधित आपात स्वास्थ्य सेवाओं के तहत दिया है। संपर्क गहन क्षेत्रों (होटल, पर्यटन आदि) के लिए भी हमेशा सुलभ नकदी व्यवस्था 30 जून, 2022 तक बढ़ाई गई है।

व्यापार से जुड़े सेटलमेंट के लिए नेशनल ऑटोमेटेड क्लीयरिंग हाउस (एनएसीएच) की सीमा एक करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ रुपये कर दी है।

विदेशी निवेशकों के लिए वॉलेंटरी रिटेंशन रूट (वीआरआर) के तहत सीमा एक करोड़ से बढ़ाकर 2.5 लाख करोड़ रुपये की गई है।

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कहा कि डिजिटल उधारी पर दिशा-निर्देश जल्द लाया जाएगा। इस पर बने कार्य समूह ने पिछले साल नवंबर में ऑनलाइन मंच और मोबाइल एप के जरिये कर्ज देने सहित डिजिटल उधारी पर अपनी सिफारिशें दी थीं। केंद्रीय बैंक ने 31 दिसंबर, 2021 तक इस पर आम लोगों से सुझाव मांगे थे। खुदरा भुगतान प्रणाली पर दास ने कहा कि आवेदकों के नाम को अंतिम रूप देने में देरी हो रही है।

आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ‘भविष्य की अनिश्चितताओं का मुकाबले करने के लिए बैंकों और एनबीएफसी पूंजी बढ़ाने के साथ उपयुक्त बफर बनाने की प्रक्रिया जारी रखें। आरबीआई ने नकदी की कमी को दूर करने, बाजार में भरोसा बहाल करने और वित्तीय बाजार के अन्य क्षेत्रों में संक्रमण रोकने के लिए निर्णायक कदम उठाकर वित्तीय स्थिरता बनाए रखने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। महामारी संबंधी चुनौतियों के बावजूद भारतीय वित्तीय प्रणाली मजबूत बनी हुई है। वाणिज्यिक बैंकों के बहीखाते पिछले वर्षों की तुलना में मजबूत हैं।’

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