November 1, 2025

वायु सेना ने 92 वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया।

दिल्ली, वायु सेना ने आज अपना 92 वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया। वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी ने वायु सेना के 92 वां स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित भव्य समारोह में नये वायु सेना ध्वज का अनावरण किया। इस मौके पर वायु सेना की ताकत और मारक क्षमता का प्रदर्शन करते हुए भव्य परेड निकाली गयी।

वायु सेना के अनुसार नए ध्वज के ऊपरी दाएं कोने में ‘फ्लाई साइड’ की ओर वायु सेना क्रेस्ट को शामिल किया गया है। इस क्रेस्ट में राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ और उसके नीचे देवनागरी में ‘सत्यमेव जयते’ लिखा है। नीचे एक हिमालयी ईगल है जिसके पंख फैले हुए हैं, जो भारतीय वायुसेना के रणकौशल को दर्शाता है। हल्के नीले रंग की एक अंगूठी जैसी आकृति हिमालयी ईगल को घेरे हुए है जिस पर ‘भारतीय वायु सेना’ लिखा है। हिमालयी ईगल के नीचे सुनहरे रंग में देवनागरी में भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य ‘नभ: स्पृशं दीप्तम्’ अंकित है। यहआदर्श वाक्य भगवद गीता के अध्याय 11 के श्लोक 24 से लिया गया है और इसका अर्थ ‘उज्ज्वल तू स्वर्ग को छूएगा’ या दूसरे शब्दों में ‘गौरव के साथ आकाश को छूना’ है ।

रॉयल वायुसेना के ध्वज में ऊपरी ओर बाएं कैंटन में यूनियन जैक और फ्लाई साइड पर रॉयल वायु सेना का लाल, सफेद और नीले रंग का निशान शामिल था। स्वतंत्रता के बाद, निचले दाएं कैंटन में यूनियन जैक को भारतीय तिरंगे और ‘रॉयल वायु सेना निशान’ को ‘वायु सेना तिरंगे’ के साथ प्रतिस्थापित करके भारतीय वायु सेना का ध्वज बनाया गया था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वायुसेना दिवस के अवसर पर वायु योद्धाओं और उनके परिवारों को शुभकामनाएं दी हैं। उन्होंने कहा कि,वायुसेना दिवस पर सभी वायु योद्धाओं और उनके परिवारों को शुभकामनाएं। भारत को भारतीय वायुसेना की वीरता, प्रतिबद्धता और समर्पण पर गर्व है। उनकी उत्कृष्ट सेवा और बलिदान हमारे आकाश क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने भी भारतीय वायु सेना दिवस (आईएएफ) के अवसर पर सभी वायु योद्धाओं, पूर्व सैनिकों और उनके परिवारों को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं। यह महत्वपूर्ण अवसर एक सदी तक भारतीय वायुसेना के राष्ट्र के प्रति अटूट समर्पण और अद्वितीय सेवा को दर्शाता है। इस अवसर पर हम उन बहादुरों को भी श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने राष्ट्र की सेवा में अंतिम बलिदान दिया। उनका साहस, वीरता और समर्पण भारत की पीढ़ियों को सतत प्रेरित करता है।

 

 

 

 

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