The Supreme Court put a stay on the instructions of Uttar Pradesh to mention the names of the owners on the sign boards on the Kanwar Yatra route.
दिल्ली , कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित होटल , ढाबों, खोमचों और रेस्टोरेंट आदि के बाहर साईन बोर्डों पर मालिकों के नाम अंकित करने संबंधी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों द्वारा जारी निर्देशों पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने सरकार के निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किए। यद्यपि, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भोजनालयों को यह प्रदर्शित करना होगा कि किस प्रकार का भोजन परोसा जा रहा है। याचिकाकर्ताओं ने इन निर्देशों पर धार्मिक भेदभाव पैदा करने का आरोप लगाया है और इन पर रोक लगाने की मांग की थी। 20 जुलाई को याचिका दाखिल की गई थी। जिस पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने निर्देशों के ‘तर्कसंगत संबंध’ पर सवाल उठाया। कहा कि , ये निर्देश जारी करने वाले पुलिस अधिकारियों ने ही विभाजन पैदा करने का बीड़ा उठा लिया है। मनु सिंघवी का दावा है कि इन निर्देशों से मालिकों की पहचान हो जाएगी और उनका आर्थिक बहिष्कार हो जाएगा। उन्होंने तर्क दिया कि इसका अन्य राज्यों में भी ‘डोमिनो प्रभाव’ पड़ेगा।
कोर्ट ने पूछा कि क्या ये प्रेस बयान में जारी किए गए ‘आदेश’ या ‘निर्देश’ हैं। इस पर मनु सिंघवी ने स्पष्ट किया कि पहले निर्देश प्रेस बयानों के माध्यम से जारी किए गए हैं। जबकि प्रशासन और पुलिस इसे सख्ती से लागू कर रहे हैं। “ऐसा पहले कभी नहीं किया गया। इसका कोई वैधानिक समर्थन नहीं है। कोई भी कानून पुलिस आयुक्तों को ऐसा करने का अधिकार नहीं देता। यह निर्देश हर हाथगाड़ी, चाय की दुकान चलाने वालों के लिए है, कर्मचारियों और मालिकों के नाम देने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होता।
न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय ने फिर पूछा कि क्या सरकार की ओर से कोई औपचारिक आदेश जारी किया गया है। सिंघवी ने जवाब दिया कि यह एक ‘छिपा हुआ आदेश’ है। सिंघवी ने आगे दावा किया कि पहचान के आधार पर बहिष्कार होगा, इसलिए पहचान बताई ही ना जाए। हालांकि, जस्टिस भट्टी ने कहा कि इस मुद्दे को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं बताया जाना चाहिए। उन्होंने संक्षेप में कहा कि इन निर्देशों के तीन आयाम हैं: सुरक्षा, मानक और धर्मनिरपेक्षता।
अधिवक्ता सिंघवी ने अदालत को बताया कि देश में कांवड़ यात्रा दशकों से होती आ रही है। अदालत को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि सभी धर्मों के लोग – मुस्लिम, ईसाई और बौद्ध – कांवड़ियों की मदद कर रहे हैं। जहां तक शाकाहारी और मांसाहारी भोजन के मुद्दे का सवाल है। सिंघवी ने अदालत को बताया कि मांसाहारी भोजन परोसने के मामले में सख्त कानून मौजूद हैं।
जस्टिस भट्टी ने एक उद्धरण देते हुए बताया कि, केरल में एक होटल हिंदू चलाता है और दूसरा मुस्लिम चलाता है। लेकिन वे अक्सर मुस्लिम के स्वामित्व वाले शाकाहारी होटल में जाते थे क्योंकि वे स्वच्छता के अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करते थे।
The Supreme Court put a stay on the instructions of Uttar Pradesh to mention the names of the owners on the sign boards on the Kanwar Yatra route.
