दिल्ली , एक व्यक्ति की आत्महत्या से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान ,जांच एजेंसियों और निचली अदालतों को ऐसे मामलों में संवेदनशील होने के निर्देश दिए। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ‘जांच एजेंसियों को ऐसे मामलों में संवेदनशील होना चाहिए। आरोपियों को जबरदस्ती परेशान न किया जाए। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘निचली अदालतों को भी ऐसे मामलों में आरोप तय करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए।’
सुप्रीम कोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले पर कहा कि आईपीसी की धारा 306 को केवल पीड़ित परिवार की भावनाओं को शांत करने के लिए लागू नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसियों को धारा 306 पर फैसले के बारे में संवेदनशील होना चाहिए ताकि आरोपियों को परेशान न किया जाए। इसके अलावा ट्रायल कोर्ट को भी इस तरह के मामलों में आरोप तय करते समय सतर्क रहने की जरूरत है।
ये मामला बैंक का लोन ना चुका पाने वाले एक व्यक्ति की आत्महत्या से जुड़ा था। इसमें बैंक मैनेजर के खिलाफ पुलिस ने आत्महत्या के लिए उकसाने के तहत मुकदमा दर्ज किया था। जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने माना कि बैंक मैनेजर की भूमिका आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोपों पर खरी नहीं उतर रही है।