लाख करोड़ के पार बजट और कर्ज…23 फीसदी वेतन-भत्ते, मजदूरी पर होगा खर्च
 
        
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने बजट भाषण और अपनी प्रतिक्रियाओं में वित्तीय प्रबंधन का जिक्र किया। साथ यह भी कहा कि राज्य के विकास को गति देने के लिए लाभ और हानि की परवाह नहीं करेंगे। मगर सच्चाई यह है कि सरकार के पास विकास की गति को जारी रखने और इसमें रफ्तार बढ़ाने के लिए डबल इंजन का साथ और खुद के दम पर संसाधनों का इंतजाम करना जरूरी और मजबूरी भी है।
राज्य के 24 साल के इतिहास में बेशक उत्तराखंड के बजट का आकार 24 गुना बढ़ गया और यह एक लाख करोड़ के पार पहुंच चुका है। लेकिन, वित्त विभाग इन अनुमानों में एक अनुमान राज्य की ऋणग्रस्तता का भी है, जो यह संकेत देता है कि बाजार से उठाए जाने वाले कर्ज का ऐसे कार्यों में इस्तेमाल करना होगा जिससे राज्य की परिसंपत्ति में इजाफा हो और उससे सरकार को कुछ आय हो सके। जहां तक राज्य पर कुल कर्ज का अनुमान है, उसके भी एक लाख करोड़ रुपये के पार पहुंचने का अनुमान है।
बजट के साथ वार्षिक वित्तीय विवरण में बताया गया है कि 2025-26 में इसके 1,06,736 करोड़ पहुंचने का अनुमान है। जारी वित्तीय वर्ष में इसके 89,230.07 करोड़ रहने की संभावना जताई गई है। पूंजी निवेश के लिए केंद्र से मिलने वाले दीर्घ अवधि के ऋण की योजना के चलते राज्य सरकार अब खुले बाजार से ऋण लेने से बच रही है। लेकिन, पुराने ऋणों पर ब्याज के रूप में सरकार ने इस साल 6,990 करोड़ की व्यवस्था की है। करीब 38,470 करोड़ रुपये उसने उधारी और देनदारी के लिए रखे हैं
कर्मचारियों के वेतन भत्तों के लिए 19 हजार करोड़
राज्य कर्मचारियों पर सरकार इस साल 18,197.10 करोड़ रुपये खर्च करेगी। सहायता प्राप्त शिक्षण व अन्य संस्थाओं व कर्मचारियों के वेतन भत्तों के लिए 1,447.26 करोड़ भी रखे गए हैं। कुल मिलाकर यह 19,666 करोड़ हो जाता है। इसके अलावा सेवानिवृत्त कर्मचारियों व पारिवारिक पेंशनरों के लिए पेंशन 9,917.40 करोड़ का प्रावधान किया गया है।
वित्तीय विवरण के मुताबिक, कर्मचारियों और अनुदानित संस्थाओं के कर्मचारियों के वेतन का खर्च आठवां वेतन लागू होने पर खासा बढ़ जाएगा। 2026-27 में इसके 10 फीसदी बढ़ने का अनुमान लगाया है लेकिन आठवें वेतन की सिफारिशें लागू होने पर यह खर्च 22 फीसदी बढ़ सकता है। पेंशन खर्च में भी 22 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान है। जारी आंकड़ों के हिसाब से बनाए गए इन अनुमानों के आधार पर सरकार पर अपने संसाधनों को भी बढ़ाने का दबाव रहेगा।
खुद के संसाधनों से 24 हजार करोड़ कमाई का अनुमान
सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 में खुद के संसाधनों से 24,014.82 करोड़ की आय अर्जित करने का अनुमान लगाया है। शुल्क, उपकर आदि (करेत्तर राजस्व) से उसने 4,395.48 करोड़ का प्रावधान रखा है। इसके अलावा कर राजस्व से उसे 39,917.74 करोड़ की राजस्व प्राप्ति का अनुमान है, जिसमें से केंद्रीय करों में राज्यांश के रूप में उसे 15,902.92 करोड़ मिलने की संभावना है। केंद्र पोषित योजनाओं और अन्य मदों में सरकार ने 18,227.32 करोड़ रुपये की प्राप्ति का अनुमान लगाया है।

 
                         
                 
                 
                