October 31, 2025

हंगरी, ऑस्ट्रिया और स्लोवाकिया में फुट-एंड-माउथ डिजीज खुरपका-मुंहपका की बिमारी ने दी दस्तक

13 अप्रैल 2025,

दिल्ली, यूरोप के कुछ देशों में पशुओं की बीमारी से संबंधित वायरस का प्रकोप जारी है। कुछ देशों ने इसे बायोलॉजिकल अटैक का शक भी जताया है। यूरोप के तीन देशों हंगरी, ऑस्ट्रिया और स्लोवाकिया में फुट-एंड-माउथ डिजीज (एफ एमएमडी) ने दस्तक दी है।जिसके बाद कुछ देशों ने अपनी सीमाएं सील कर दी हैं। एफ एमएमडी जिसे खुरपका-मुंहपका रोग भी कहा जाता है, एक संक्रामक पशु रोग है जो मुख्य रूप से गाय, सूअर, भेड़ और बकरियों को प्रभावित करता है

एक रिपोर्ट के मुताबिक हंगरी में करीब 50 साल बाद एफ एमएमडी का कहर देखा गया है। इस वायरस से ग्रसित हजारों पशुओं को मारने के बावजूद संक्रमण फैलने का खतरा टला नहीं है। यूरोप में फैली फुट-एंड-माउथ डिजीज को नियंत्रित करने के लिए तगड़े कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन बायोलॉजिकल अटैक के शक ने चिंता और बढ़ा दी है। सबकी नजरें अब जांच रिपोर्ट और आने वाले फैसलों पर टिकी हैं।

हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान का अंदेशा है कि , यह महज प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि साजिश का नतीजा हो सकता है। प्रधानमंत्री के चीफ ऑफ स्टाफ गर्गेली गुल्यास ने कहा, “यह कहना अभी जल्दबाजी होगी कि वायरस प्राकृतिक है। संभव है कि हम एक कृत्रिम वायरस का सामना कर रहे हों।” उन्होंने बताया कि यह शक एक विदेशी लैब से मिली जानकारी पर आधारित है, हालांकि इसकी अभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। विश्व पशु स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, बीमारी का पहला मामला मार्च में हंगरी की उत्तर-पश्चिमी सीमा के पास एक फार्म में मिला था। अब तक एक हजार से ज्यादा फार्मों की जांच हो चुकी है, जिनमें से चार में संक्रमण की पुष्टि हुई है।

राहत की बात है कि, फुट-एंड-माउथ डिजीज इंसानों के लिए घातक नहीं मानी जाती, लेकिन गायों, भेड़ों और बकरियों में यह बेहद तेजी से फैलती है। इससे जानवरों को तेज़ बुखार और मुंह में घाव हो जाते हैं, जिससे उनकी जान भी जा सकती है।

हंगरी सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि, हंगरी में दिसंबर 2024 तक 8.61 लाख मवेशी थे, जो यूरोपीय संघ के कुल स्टॉक का 1.2% हिस्सा हैं। वायरस के फैलाव को रोकने के लिए हजारों मवेशियों को मारना पड़ा है।

वहीं ऑस्ट्रिया ने हंगरी के साथ 21 और स्लोवाकिया के साथ 2 सीमा क्रॉसिंग बंद करने के साथ ही सीमाओं पर कीटाणुनाशक स्टेशन लगाए गए हैं ताकि संक्रमण आगे न बढ़े। स्लोवाकिया के दक्षिणी हिस्से में भी बीमारी फैल रही है।

 

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