October 31, 2025

परोसी शराब तो होगा सामूहिक बहिष्कार, उत्तराखंड के इस गांव ने नशे के खिलाफ फूंका बिगुल

उत्तराखंड के सत्यों गांव में शादी-विवाह समेत किसी भी शुभ अवसर पर शराब परोसने पर रोक लगा दी गई है। ग्रामीणों ने फैसला किया है कि जो भी शराब परोसेगा उसका सामूहिक बहिष्कार किया जाएगा। गांव में शराबखोरी की बढ़ती लत को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है जिससे लड़ाई-झगड़े और अपराध बढ़ रहे हैं। शादी जैसे आयोजनों में शराब परोसने वालों का विरोध होगा।

शांत व सुरम्य पहाड़ में बढ़ती नशाखोरी की लत न केवल युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रही है बल्कि शुभ कार्यों में विवाद और विध्न का कारण बन रही है। इसी समस्या के समाधान के लिए लमगड़ा ब्लाक के ग्राम सत्यों के लोग एक साथ आगे आए हैं।
तय किया है कि गांव में शादी-विवाह समेत अन्य किसी भी समारोह में शराब परोसने वालों का विरोध किया जाएगा। गांव के लोग ऐसे किसी भी समारोह में शामिल नहीं होंगे जहां शराब परोसी जाएगी। शराब परोसने वाले परिवार का सभी गांव वाले सामूहिक बहिष्कार करेंगे और उसके निमंत्रण में भी शामिल नहीं होंगे।
वर्तमान में शादी-समारोह हो या अन्य कोई कार्यक्रम, शराब परोसने का चलन बढ़ता जा रहा है। अब ग्रामीण क्षेत्र भी इससे अछूते नहीं हैं। इससे लड़ाई-झगड़े, अराजकता, मनमुटाव व अपराध बढ़ रहे हैं वहीं युवा पीढ़ी भी नशे के जाल में फंसती जा रही है।

इसी को देखते हुए रविवार को सत्यों में ग्रामीणों ने बैठक की। तय किया गया कि ग्राम सभा में अब शुभ कार्यों विवाह, नामकरण, जन्मदिन समारोह के अलावा होली-दीपावली या फिर चुनाव के दौरान कोई भी व्यक्ति शराब परोसेगा तो ग्रामीण उसका सामूहिक बहिष्कार करेंगे। तभी शराब परोसने का चलन बंद होगा।
ग्रामीणों ने इस पहल को सफल बनाने के लिए सभी से सहयोग की अपील भी की है। बैठक में यहां हरीश सिंह, दीवान सतवाल, जसवंत सिंह, बालम सिंह, राम सिंह, प्रेम सिंह, गोपाल सिंह, नरसिंह, अनिल सिंह, बची सिंह, गोपाल सिंह समेत महिलाएं अधिक संख्या में मौजूद रहीं।
संरक्षक समिति का भी किया गठन

नशे के विरुद्ध शुरू की गई पहल को सफल बनाने के लिए ग्राम संरक्षक समिति का गठन किया है। जिसमें ग्राम प्रशासक (प्रधान) नीमा सतवाल को अध्यक्ष, पुष्पा देवी उपाध्यक्ष, गीता आर्या सचिव और अनीता देवी के साथ ही 12 अन्य को सक्रिय सदस्य बनाया गया है।
बाहरियों के जमीन खरीद पर नजर
बैठक में ग्रामीणों ने गौचर, बंजर भूमि को बचाने की मांग उठाई। तय किया कि कोई बाहरी व्यक्ति गांव में जमीन खरीदता है तो उसे पानी का कनेक्शन ग्रामीणों की सप्लाई लाइन से नहीं दिया जाएगा। कुछ बाहरी लोगों ने गांव में जमीन खरीदी है और ग्राम पंचायत के सार्वजनिक रास्तों को बंद कर दिया है।

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