उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि, हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते कि अदालतें राष्ट्रपति को निर्देश दें।
दिल्ली , तमिलनाडु सरकार के 10 महत्वपूर्ण विधेयकों को असीमित अवधि तक रोकने को सुप्रीम कोर्ट द्वारा अवैध करार दिए जाने पर भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि, हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते कि अदालतें राष्ट्रपति को निर्देश दें। उन्होंने कहा , संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत न्यायालय को मिले विशेष अधिकार लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ चौबीसों घंटे परमाणु मिसाइल बन गए हैं।
उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने स्पष्ट किया कि, लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार सबसे महत्वपूर्ण होती है और सभी संस्थाओं को अपनी सीमाओं में रहकर काम करना चाहिए। उन्होंने साफ कहा कि कोई भी संस्था संविधान से ऊपर नहीं है।
दरअसल अनुच्छेद 142 भारत के सर्वोच्च न्यायालय को पूर्ण न्याय करने के लिए कोई भी आदेश, निर्देश या निर्णय देने का अधिकार देता है, चाहे वह किसी भी मामले में हो।
8 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल के मामले में ऐतिहासिक फैसला दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल द्वारा सरकार के 10 महत्वपूर्ण विधेयकों को रोकने को भी अवैध करार दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मनमाना कदम है और कानून की दृष्टि से सही नहीं है। राज्यपाल को राज्य विधानसभा की मदद करनी चाहिए थी और सलाह देनी चाहिए थी। कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल विधानसभा द्वारा पारित विधेयक पर एक महीने के भीतर कार्रवाई करें।
11 अप्रैल की रात वेबसाइट पर अपलोड किए गए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 201 का हवाला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राज्यपालों द्वारा भेजे गए बिल के मामले में राष्ट्रपति को पूर्ण वीटो या पॉकेट वीटो का अधिकार नहीं है। उनके फैसले की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है और न्यायपालिका बिल की संवैधानिकता तय करेगी।
