सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मतदाता सूची का पुनरीक्षण एसआईआर पर रोक लगाने से इनकार:आधार कार्ड केवल पहचान प्रमाण के रूप में ही मान्य,
Delhi, 29 July 2025,
बिहार मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण एसआईआर मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल गोपाल शंकरनारायणन एवं अधिवक्ता प्रशांत भूषण पेश हुए।
याचिकाओं की सुनवाई के दौरान प्रशांत भूषण ने कहा कि, चुनाव आयोग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सूचना दी है कि ये 65 लाख या तो मर चुके हैं या स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक 65 लाख लोगों ने फॉर्म जमा नहीं किए हैं। चुनाव आयोग का कहना है कि वे मर चुके हैं या कहीं और चले गए हैं। प्रशांत भूषण ने कहा, जो लोग ड्राफ्ट सूची में नहीं हैं, वे खुद को कैसे शामिल करवाएँगे? उन्हें नए सिरे से आवेदन करना होगा? उन्हें कैसे पता चलेगा कि उनका नाम ड्राफ्ट सूची में नहीं है?
कपिल सिब्बल ने कहा कि, जिन 65 लाख मतदाताओं के नाम सूची में शामिल नहीं हैं। ये 65 लाख लोग कौन हैं? सिब्बल ने कहा कि अगर चुनाव आयोग इन 65 लाख मतदाताओं के नामों का उल्लेख मसौदा सूची में करते हैं, तो हमें कोई समस्या नहीं है।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अगर बिहार की वोटर लिस्ट से बड़े पैमाने पर मतदाता के नाम काटे गए हैं, तो हम तुरंत हस्तक्षेप करेंगे। ऐसे प्रभावित 15 मतदाताओं के जीवित प्रमाण के साक्ष्य कोर्ट के समक्ष लाएं। इस पर चुनाव आयोग ने दलील दी कि, मतदाता को आपत्ति करने का अधिकार है। 30 दिन का समय दिया गया है। प्रभावित मतदाताओं को नाम जुड़वाने में मदद करनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर, यह सूची नहीं थी, तो जनवरी 2025 की सूची ही शुरुआती बिंदु है। मसौदा सूची चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित की जाएगी आपकी आशंका है कि लगभग 65 लाख मतदाता सूची में शामिल नहीं होंगे चुनाव आयोग 2025 की प्रविष्टि के संबंध में सुधार की मांग कर रहा है। हम एक न्यायिक प्राधिकरण के रूप में इस मामले की समीक्षा कर रहे हैं।
कोर्ट में सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि मसौदा सूची का विज्ञापन दिया जा चुका है, राजनीतिक दलों को दिया जा चुका है। जस्टिस कांत ने कहा कि जैसे ही वे अधिसूचना से हटेंगे, हम निश्चित रूप से हस्तक्षेप करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मसौदा सूची में स्पष्ट रूप से कुछ नहीं लिखा है, तो आप हमें बताएं। जस्टिस सूर्यकांत ने उन्होंने कहा बहस के लिए हम 3 घंटे का समय देंगे। कपिल सिब्बल ने कहा कि कृपया हमारे बहस लिए एक पूरा दिन और चुनाव आयोग के लिए एक दिनू का समय दें। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वकीलों द्वारा बार-बार दोहराने की कोई ज़रूरत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण एसआईआर पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। जिससे चुनाव आयोग को वोटर लिस्ट को नियमित रूप से अपडेट करने की अनुमति मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड और वोटर कार्ड के संबंध में भी स्पष्ट निर्देश दिए। अदालत ने कहा कि आधार कार्ड को वोटर लिस्ट में शामिल करने या हटाने का आधार नहीं बनाया जा सकता। वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने या हटाने के लिए केवल चुनाव आयोग के निर्धारित नियमों का पालन किया जाएगा। आधार कार्ड की भूमिका केवल पहचान प्रमाण के रूप में ही मान्य होगी, लेकिन इसके आधार पर वोटर लिस्ट में स्वचालित तौर पर कोई बदलाव नहीं होगा।
