West Bengal, 27 September 2025
कलकत्ता हाईकोर्ट ने विगत 26 जून 2025 को दिल्ली पुलिस ने छह लोगों को विदेशी होने के संदेह में बांग्लादेश निर्वासित कर दिया था। कलकत्ता हाईकोर्ट ने निर्वासितों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए निर्वासन को “अवैध” करार दे दिया है। कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को निर्देश दिया है कि चार सप्ताह के भीतर इनकी पश्चिम बंगाल से वापसी सुनिश्चित की जाए।
पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले की रहने वाली सोनाली बीबी और स्वीटी बीबी और उनके परिवारों को अवैध प्रवासी बताकर बांग्लादेश निर्वासित करने के केंद्र सरकार के आदेश को कोलकाता हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी कहा है कि वह यह सुनिश्चित करे कि निर्वासित किए गए इन सभी छह लोगों को एक महीने के अंदर अंदर भारत वापस लाया जाए। कोर्ट ने इस फैसले पर अस्थायी रोक लगाने की केंद्र सरकार की अपील को भी खारिज कर दिया। जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस रीतोब्रोतो कुमार मित्रा की बेंच ने याचिकाकर्ता भोदू शेख द्वारा दायर की गई बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए दो फैसले लिए है।
26 जून 2025,को कोलकाता हाईकोर्ट में भोदू शेख नामक एक महिला द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में उन्होंने दावा किया कि उनकी 26 वर्षीय बेटी सोनाली, जो अभी नौ महीने की गर्भवती हैं, उनके पति दानेश शेख, और उनके पांच साल के बेटे को दिल्ली में हिरासत में लिया गया और फिर बांग्लादेश निर्वासित कर दिया गया। इसके बाद अमीर खान ने भी याचिका दायर की, जिसमें उसने कहा कि,उसकी बहन स्वीटी बीबी और उनके दो बच्चों को दिल्ली पुलिस द्वारा हिरासत में लेकर बांग्लादेश निर्वासित कर दिया गया।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा है कि दिल्ली में स्थित फॉरेनर रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस (FRRO) एक सिविल अथॉरिटी होने के नाते, बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों को वापस भेज रहे है। यह कार्य केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक निर्देश पर किया जा रहा है। इस ज्ञापन में बताया गया कि, बांग्लादेशी या म्यांमार के नागरिको को वापस भेजने से पहले जांच की जाएगी, लेकिन याचिकाकर्ताओं के परिवारों को भेजने से पहले यह प्रक्रिया पूरी नहीं की गई। इसके अलावा अन्य कई पहलूओं को देखते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के पक्ष में फैसला लिया। केंद्र सरकार ने अदालत को सूचित किया कि वह इस फैसले के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील करेंगे।