सदन में सुनियोजित व्यवधान लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमज़ोर करने के साथ ही नागरिकों को सार्थक विचार-विमर्श और जवाबदेही से भी वंचित करते हैं:लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला,
Delhi 10 November 2025,
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज सभी राजनीतिक दलों से विधायी संस्थाओं का सुचारू और व्यवस्थित संचालन सुनिश्चित कर उनकी गरिमा बनाए रखने की पुरज़ोर अपील की। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि लोकतंत्र शांतिपूर्ण, सुनियोजित और सूचनाप्रद चर्चाओं द्वारा मुद्दों को उठाने, मुद्दों के प्रति विचार व्यक्त करने और बहस में शामिल होने के समुचित अवसर प्रदान करता है। लोक सभा अध्यक्ष ने कोहिमा स्थित नागालैंड विधानसभा में आयोजित 22वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सम्मेलन का उद्घाटन किया।

राष्ट्रमंडल संसदीय संघ-सीपीए, भारत क्षेत्र, ज़ोन-तीन के वार्षिक सम्मेलन के अवसर पर मीडिया कर्मियों से संवाद करते हुए, उन्होंने आगाह किया कि सदन में सुनियोजित व्यवधान लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमज़ोर करने के साथ ही नागरिकों को सार्थक विचार-विमर्श और जवाबदेही से भी वंचित करते हैं। एक दिसंबर 2025 से आरंभ होने वाले संसद के आगामी शीतकालीन सत्र का उल्लेख करते हुए, लोकसभा अध्यक्ष ने सभी राजनीतिक दलों से सदन की कार्यवाही का सुचारू संचालन सुनिश्चित करने का आग्रह किया। उन्होंने इस पर बल दिया कि पारदर्शी शासन और कल्याणकारी नीति निर्माण के लिए विधानमंडलों को अधिक सक्रिय और रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए।
इससे पहले, राष्ट्रमंडल संसदीय संघ (सीपीए) भारत क्षेत्र, ज़ोन-तीन सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए, लोकसभा अध्यक्ष कहा कि विधानमंडलों को जनमत को नीति में परिवर्तित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। ओम बिरला ने कहा कि विधानमंडलों का दायित्व कानून बनाने से कहीं आगे तक विस्तृत है—और जनता की आकांक्षाओं और चिंताओं को कार्यान्वयन योग्य नीतियों में परिवर्तित करना भी है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि व्यापक विकास केवल सक्रिय जनभागीदारी से ही संभव है। उन्होंने कहा कि सच्ची प्रगति तभी होती है जब लोग लोकतांत्रिक प्रक्रिया में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होते हैं। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि नीति निर्माण में नागरिकों की आकांक्षा सार्थक रूप से प्रतिबिंबित हो।
राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के इस वर्ष के सम्मेलन का विषय “नीति, प्रगति और नागरिक: परिवर्तन के उत्प्रेरक के रूप में विधायिका” है। श्री बिरला ने आशा व्यक्त की कि सम्मेलन में सार्थक विचार-विमर्श से पूर्वोत्तर के विधानमंडलों को अधिक सशक्त, दायित्वपूर्ण और कुशल बनाने के उद्देश्य से ठोस कार्य योजनाएं तैयार होंगी।
बिरला ने पूर्वोत्तर के विधानमंडलों में हो रहे उल्लेखनीय डिजिटल परिवर्तन की सराहना की और इसे आधुनिक एवं पारदर्शी शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने विशेष रूप से नागालैंड विधानमंडल के पूर्णतया कागज़ रहित बनने की सराहना की और इसे भारत में डिजिटल शासन का अग्रणी मॉडल बताया।
लोकसभा अध्यक्ष ने केंद्र-राज्य संबंधों पर कहा कि सरकार का प्रत्येक स्तर स्पष्ट रूप से परिभाषित संवैधानिक ढांचों के अंतर्गत कार्य करता है, फिर भी ठोस परिणाम के लिए दोनों के बीच प्रभावी सहयोग अत्यंत आवश्यक है।
श्री बिरला ने विश्वास व्यक्त किया कि दो दिवसीय राष्ट्रमंडल संसदीय संघ भारत क्षेत्र, ज़ोन-तीन सम्मेलन समूचे क्षेत्र में लोकतांत्रिक संस्थाओं को सुदृढ़ बनाने, विधायी प्रक्रियाओं के बेहतर पालन और शासन में लोगों का विश्वास बढ़ाने के लिए ठोस सुझाव देगा। उन्होंने आगामी हॉर्नबिल महोत्सव के लिए सभी प्रतिनिधियों को हार्दिक बधाई दी और इसे नागालैंड की संस्कृति, स्थिति प्रत्यास्थता, कलात्मकता और सामुदायिक भावना का वैश्विक उत्सव बताया।
कार्यक्रम को नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो; राज्यसभा उपसभापति हरिवंश, नागालैंड विधानसभा अध्यक्ष शारिंगेन लोंगकुमेर और नागालैंड के संसदीय कार्य मंत्री के.जी. केन्ये ने संबोधित किया। भारत के आठ पूर्वोत्तर राज्यों की विधानसभाएं सीपीए ज़ोन-तीन के सदस्य हैं। सम्मेलन में, इस ज़ोन के 8 सदस्य राज्यों में से सात विधानसभाओं ने हिस्सा लिया। सम्मेलन में कुल 12 पीठासीन अधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें 7 अध्यक्ष और 5 उपाध्यक्ष शामिल हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र के सांसदों और विधायकों ने भी सम्मेलन में भाग लिया।
