प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भूटान ऊर्जा परियोजनाओं के लिए भूटान को 4 हजार करोड़ रुपये की रियायती ऋण सुविधा, पंचवर्षीय योजना के लिए 10 हजार करोड़ रुपये के सहायता पैकेज की घोषणा,
Delhi , 11 NOV 2025
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज भूटान में थिम्पू के चांगलीमेथांग उत्सव मैदान में एक जनसभा को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक और चतुर्थ नरेश जिग्मे सिंग्ये वांगचुक का हार्दिक अभिनंदन किया। उन्होंने शाही परिवार के सम्मानित सदस्यों, भूटान के प्रधानमंत्री महामहिम शेरिंग तोबगे और उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों के प्रति सम्मानपूर्वक आभार व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री ने भारत और भूटान के बीच सदियों से चले आ रहे गहन आत्मीय और सांस्कृतिक संबंधों का उल्लेख किया और कहा कि इस महत्वपूर्ण अवसर पर भाग लेना भारत की और उनकी अपनी प्रतिबद्धता थी। श्री मोदी ने दिल्ली स्थित लाल किला मेट्रो स्टेशन में हुए विस्फोट का जिक्र करते हुए कहा कि वे भारी मन से भूटान पहुंचे हैं, क्योंकि दिल्ली में हुई भयावह घटना ने सभी को बहुत व्यथित कर दिया है। उन्होंने कहा कि वे इस घटना से पीड़ित परिवारों के दुःख को समझते हैं और पूरा देश आज उनके साथ खड़ा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि वे घटना की जांच में शामिल सभी एजेंसियों के साथ रात भर निरंतर संपर्क में थे। उन्होंने बल देकर कहा कि भारतीय एजेंसियां पूरे षड़यंत्र की तह तक जाएंगी और आश्वासन दिया कि हमले में जिन षड्यंत्रकारियों का हाथ है उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। प्रधानमंत्री ने घोषणा की, घटना के लिए “ज़िम्मेदार सभी लोगों को सज़ा दिलाई जाएगी।”
श्री मोदी ने कहा कि आज भूटान में एक तरफ आज गुरु पद्मसंभव के आशीर्वाद के साथ वैश्विक शांति प्रार्थना महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है तो दूसरी ओर भगवान बुद्ध के पिपरहवा अवशेषों के पवित्र दर्शन हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह अवसर चतुर्थ नरेश की 70वीं जयंती के उत्सव का भी अवसर है जिसमें इतनी बड़ी संख्या में लोगों की गरिमामयी उपस्थिति भारत-भूटान संबंधों की मज़बूती को दर्शाती है। प्रधानमंत्री ने बताया कि बहुत कम लोग जानते होंगे कि गुजरात में उनका जन्मस्थान वडनगर बौद्ध परंपरा से जुड़ा पवित्र स्थल है और उत्तर प्रदेश में उनकी कर्मभूमि वाराणसी बौद्ध श्रद्धा का शिखर है। उन्होंने कहा कि इस समारोह में शामिल होना उनके लिए व्यक्तिगत रूप से बहुत बड़ा अर्थ रखता है और यह भी कहा कि शांति का दीप भूटान और दुनिया भर के हर घर को प्रकाशित करे।

श्री मोदी ने भूटान के चतुर्थ नरेश को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए और उनके जीवन को ज्ञान, सादगी, साहस और राष्ट्र के प्रति निस्वार्थ सेवा का संगम बताते हुए कहा कि चतुर्थ नरेश ने 16 वर्ष की अल्पायु में ही बहुत बड़ा दायित्व ग्रहण किया और पिता जैसा स्नेह देते हुए अपने दूरदर्शी नेतृत्व से देश को आगे बढ़ाया। प्रधानमंत्री ने इस बात का उल्लेख किया कि चतुर्थ नरेश ने अपने 34 वर्षों के शासनकाल में भूटान की विरासत और विकास दोनों को एक साथ लेकर चले। उन्होंने लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्थापना से लेकर सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति को बढ़ावा देने तक निर्णायक भूमिका निभाई। प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी बल दिया कि चतुर्थ नरेश की ओर से दिया गया “सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता” का विचार विकास को परिभाषित करने के लिए विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त मानदंड बन गया है। उन्होंने कहा कि महामहिम ने यह प्रदर्शित किया है कि राष्ट्र निर्माण केवल सकल घरेलू उत्पाद से नहीं बल्कि मानवता की भलाई से होता है।
प्रधानमंत्री ने इस बात का उल्लेख किया कि भारत और भूटान का तेज़ी से विकास हो रहा है और उनकी ऊर्जा साझेदारी इस विकास को गति दे रही है। उन्होंने कहा कि भारत-भूटान जलविद्युत सहयोग की नींव महामहिम चतुर्थ नरेश के नेतृत्व में रखी गई थी। महामहिम चतुर्थ नरेश और महामहिम पंचम नरेश दोनों ने भूटान में सतत विकास और पर्यावरण-प्रथम दृष्टिकोण के विजन को आगे बढ़ाया है। श्री मोदी ने कहा कि उनकी इसी दूरदर्शी नींव ने भूटान को दुनिया का पहला कार्बन-निगेटिव देश बनने में सक्षम बनाया है जो असाधारण उपलब्धि है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रति व्यक्ति नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में भूटान विश्व के सर्वोच्च देशों में से एक है और वर्तमान में अपनी 100 प्रतिशत बिजली का उत्पादन नवीकरणीय स्रोतों से करता है। इस क्षमता का और विस्तार करते हुए आज 1 हजार मेगावाट से अधिक की एक नई जलविद्युत परियोजना का शुभारंभ किया जा रहा है जिससे भूटान की जलविद्युत क्षमता में 40 प्रतिशत वृद्धि होगी। इसके अतिरिक्त, लंबे समय से रुकी हुई एक और जलविद्युत परियोजना पर भी काम फिर से शुरू हो रहा है। प्रधानमंत्री ने बल देकर कहा कि यह साझेदारी केवल जलविद्युत तक ही सीमित नहीं है। भारत और भूटान अब सौर ऊर्जा के क्षेत्र में भी एक साथ बड़े कदम उठा रहे हैं। आज इससे जुड़े अहम समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए हैं।दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से 1020 मेगावाट की पुनात्सांगचू-II जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन किया, जो भारत एवं भूटान के बीच जीवंत और बढ़ती पारस्परिक लाभकारी ऊर्जा साझेदारी में एक मील का पत्थर है, जिससे दोनों देशों के आम नागरिकों के जीवन में महत्वपूर्ण लाभ मिला है।
दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग को और ज्यादा मज़बूत करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा, मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं एवं स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्रों में तीन समझौता ज्ञापनों (एमओयू) का भी आदान-प्रदान किया। इस अवसर पर, भारत सरकार ने ऊर्जा परियोजनाओं का वित्तपोषण करने के लिए भूटान को 4 हजार करोड़ रुपये की रियायती ऋण सुविधा प्रदान करने की घोषणा की।
प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत और भूटान की प्रगति और समृद्धि एक दूसरे से गहराई से जुड़े हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार ने इसी भावना को ध्यान में रखते हुए पिछले वर्ष भूटान की पंचवर्षीय योजना के लिए 10 हजार करोड़ रुपये के सहायता पैकेज की घोषणा की थी। उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि इस निधि का उपयोग सड़कों से लेकर कृषि, वित्तपोषण से लेकर स्वास्थ्य सेवा तक, सभी क्षेत्रों में किया जा रहा है, जिससे भूटान के नागरिकों के जीवन को सुगम बनाया जा रहा है। श्री मोदी ने यह भी कहा कि भारत ने ऐसे कई कदम उठाए हैं ताकि भूटान के लोगों को आवश्यक वस्तुओं की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि भूटान में यूपीआई भुगतान की सुविधा का विस्तार हो रहा है और हम इस दिशा में भी काम कर रहे हैं कि भूटान के नागरिकों को भी भारत आने पर यूपीआई सेवाओं का उपयोग करने की सुविधा मिले।
