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November 18, 2025

आईसीटी ने 2024 के आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और हत्याओं के लिए शेख हसीना को मौत की सजा सुनाई:शेख हसीना ने कहा, आईसीटी प्रकृति पक्षपाती है, जिसके चलते उनके खिलाफ दिया गया फैसला न तो निष्पक्ष है और न ही विश्वसनीय।

Delhi, 17 November 2025,

बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को आज सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण आईसीटी ने 2024 के आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और हत्याओं के लिए मौत की सजा सुनाई है। आरोप है कि शेख हसीना ने पिछले साल हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान प्रदर्शनकारियों पर घातक कार्रवाई का आदेश दिया था। जिसे आईसीटी ने मानवता के विरुद्ध करार दिया है।

आईसीटी का कहना है कि सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान करीब 1600 लोग मारे गए और 24 हजार घायल हुए। आईसीटी जज ने कहा कि शेख हसीना की सरकार ने प्रदर्शनकारियों को दबाने के लिए आग्नेयास्त्रों और हेलीकॉप्टरों सहित घातक हथियारों का इस्तेमाल किया। जिसके परिणाम स्वरूप व्यापक हिंसा और तबाही हुई। आईसीटी के जज ने हसीना और दक्षिण ढाका नगर निगम के पूर्व मेयर के बीच कथित वार्ता को पढ़ते हुए कहा कि शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों को मारने के लिए हेलीकॉप्टरों और घातक हथियारों के इस्तेमाल का आदेश दिया था।

आईसीटी जज ने कहा कि, शेख हसीना ने दमनात्मक टिप्पणी करके हिंसा भड़काई और लोगों को देश का दुश्मन करार दिया। बांग्लादेश की अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर मानवता के विरुद्ध अपराध करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके खिलाफ आरोप तय करने के पर्याप्त आधार हैं। अदालत ने छात्रों की हत्या के लिए कथित तौर पर हिंसा भड़काने और 14 जुलाई की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में की गई अपमानजनक टिप्पणियों का भी हवाला दिया।

आईसीटी के फैसला आने से पहले ही बांग्लादेश में शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग के लोगों ने प्रदर्शन तेज कर दिए थे। जिसको देखते हुए ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस कमिश्नर शेख मोहम्मद सज्जात अली ने रविवार शाम को आगजनी, विस्फोट या पुलिस व नागरिकों को नुकसान पहुँचाने की कोशिश में शामिल किसी भी व्यक्ति को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए।

प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश में बढ़ती अशांति के बीच बांग्लादेश छोड़कर भारत में शरण ले ली। तब से भारत में निर्वासित जीवन जी रही हैं। मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है। लेकिन भारत ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया है।

आईसीटी के फैसले के बाद शेख हसीना ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बांग्लादेश के मुहम्मद यूनुस की सरकार पर सवाल उठाए हैं। शेख हसीना ने कहा कि, आईसीटी में एक ऐसी अनिर्वाचित सरकार ने मुकदमा दर्ज किया है जिसका जनता से कोई लोकतांत्रिक जनादेश नहीं है। उन्होंने कहा कि इस न्यायाधिकरण की प्रकृति पक्षपाती है, जिसके चलते उनके खिलाफ दिया गया फैसला न तो निष्पक्ष है और न ही विश्वसनीय। शेख हसीना के अनुसार, ‘मृत्युदंड की मांग साबित करती है कि अंतरिम शासन में मौजूद उग्रवादी ताकतें बांग्लादेश के अंतिम निर्वाचित प्रधानमंत्री को खत्म करना चाहती हैं और अवामी लीग को पूरी तरह राजनीतिक परिदृश्य से हटाने का इरादा रखती हैं।

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