VB-G-RAM-G को कांग्रेस नेता चिदंबरम ने’संघीय ढांचे’ और ‘रोजगार की गारंटी’ के खिलाफ बताया,
Chennai, 21 December 2025
केंद्र सरकार द्वारा संसद से पास कराए गए भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन VB-G-Ram-G के विरोध में कांग्रेस ने मोर्चा खोल दिया है। पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और कांग्रेस सांसद पी. चिदंबरम ने इस नई योजना पर तीखा हमला बोला है। वहीं एक संदेश के माध्यम से सीपीपी चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने कहा कि,कांग्रेस का मनरेगा को लाने और लागू करने में बड़ा योगदान था, लेकिन यह जनहित पार्टी से जुड़ा मामला कभी नहीं था। ये देशहित और से जुड़ी योजना थी। मोदी सरकार ने इस कानून को कमजोर करके देश के करोड़ों किसानों, श्रमिकों और भूमिहीन ग्रामीण वर्ग के गरीबों के हितों पर हमला किया है।
पी. चिदंबरम ने चेन्नई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान VB-G-Ram-G को लेकर मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि यह बदलाव न केवल गरीबों के संवैधानिक अधिकारों पर प्रहार है, बल्कि महात्मा गांधी की यादों को मिटाने की एक सोची-समझी साजिश भी है। चिदंबरम का कहना है, “इस योजना में बदलाव करके महात्मा गांधी को दूसरी बार मार दिया गया है।
चिदंबरम ने भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन की खामियों को उजागर करते हुए इसे ‘संघीय ढांचे’ और ‘रोजगार की गारंटी’ के खिलाफ बताया।
*चिदंबरम ने स्कीम के नाम ‘VB-G-RAM-G’ पर तंज कसते हुए कहा कि यह न तो सही अंग्रेजी है और न ही कोई स्पष्ट भारतीय भाषा है।
*चिदंबरम का सबसे बड़ा आरोप यह है कि यह योजना देशभर में समान रूप से लागू नहीं होगी। अब केंद्र सरकार यह तय करेगी कि किन जिलों या क्षेत्रों में काम दिया जाना चाहिए। उन्होंने इसे संघीय ढांचे पर प्रहार बताते हुए कहा कि इससे राज्यों से भेदभाव की संभावना बढ़ेगी।
* 60 दिन की ‘रहस्यमयी’ शर्त और ‘नो वर्क’ जोन?
बिल के अनुसार साल के 60 दिन यह योजना लागू नहीं होगी, लेकिन वे 60 दिन कौन से होंगे? इसकी कोई स्पष्टता नहीं है। यदि किसी जिले को ‘नो वर्क’ (काम नहीं) क्षेत्र घोषित कर दिया जाता है, तो वहां के मजदूर रोजगार की मांग भी नहीं कर पाएंगे। चिदंबरम के अनुसार, यह कानून अब “गारंटी” शब्द के अर्थ को ही खत्म कर रहा है।
*मनरेगा (MGNREGA) का जिक्र करते हुए चिदंबरम ने बताया कि पुरानी योजना 12 करोड़ परिवारों के लिए सुरक्षा कवच थी। महिलाओं के हाथ में सीधे पैसे आने से उन्हें आत्मनिर्भरता मिलती थी। नया बिल इस गारंटी को कमजोर कर रहा है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था और खासकर महिलाओं पर बुरा असर पड़ेगा।
*बजट में कटौती और गांधी की विरासत पर प्रहार
चिदंबरम ने आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि 100 दिन के वादे के मुकाबले औसतन केवल 50 दिन का काम मिल पा रहा है। 2024-25 के बजट में भी भारी कटौती की गई जिससे हजारों करोड़ रुपये की मजदूरी बकाया है।
कांग्रेस सांसद पी चिदंबरम ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी नीत केन्द्र सरकार महात्मा गांधी के योगदान को नजरअंदाज कर रहा है। चिदंबरम ने कहा, “यह बिल केवल एक नीतिगत बदलाव नहीं है, बल्कि यह आजाद भारत के इतिहास को 2014 से शुरू दिखाने और उससे पहले के महापुरुषों को इतिहास से मिटाने का प्रयास है।
चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने एक संदेश के माध्यम से कहा, 20 साल पहले डॉ. मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे, तब संसद में मनरेगा कानून आम राय से पास किया गया था। यह ऐसा क्रांतिकारी कदम था, जिसका फायदा करोड़ों ग्रामीण परिवारों को मिला था। खासतौर पर वंचित, शोषित, गरीब और अतिगरीब लोगों के लिए रोजी-रोटी का जरिया बना। रोजगार के लिए अपनी माटी, अपना गांव, अपना घर-परिवार छोड़कर पलायन करने पर रोक लगी। रोजगार का कानूनी हक़ दिया गया, साथ ही ग्राम पंचायतों को ताकत मिली। मनरेगा के जरिए महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज के सपनों के भारत की ओर एक ठोस कदम उठाया गया।

सोनिया गांधी ने बताया कि, पिछले 11 साल में मोदी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों के बेरोजगार, गरीबों और वंचितों के हितों को नजरअंदाज कर मनरेगा को कमजोर करने की हर कोशिश की, जबकि कोविड के वक़्त ये गरीब वर्ग के लिए संजीवनी साबित हुआ। अभी हाल में केन्द्र सरकार ने मनरेगा पर बुलडोजर चला दिया।
कांग्रेस का मनरेगा को लाने और लागू करने में बड़ा योगदान था, लेकिन यह जनहित पार्टी से जुड़ा मामला कभी नहीं था। ये देशहित और से जुड़ी योजना थी। मोदी सरकार ने इस कानून को कमजोर करके देश के करोड़ों किसानों, श्रमिकों और भूमिहीन ग्रामीण वर्ग के गरीबों के हितों पर हमला किया है।
सोनिया गांधी ने संदेश में कहा कि, इस हमले का मुकाबला करने के लिए हम सब तैयार हैं। 20 साल पहले अपने गरीब भाई-बहनों को रोजगार का अधिकार दिलवाने के लिए मैं भी लड़ी थी, आज भी इस काले कानून के खिलाफ लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हूं।
