दिल्ली , केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 पेश किया। आर्थिक आंकड़ों के अनुसार भारत के बजट का बड़ा हिस्सा लगभग 20 फीसदी ब्याज चुकाने पर खर्च होता है। भारत सरकार की राजस्व प्राप्ति की अपेक्षा व्यय की राशि अधिक है। राजकोषीय घाटा की स्थिति में सरकार कर्ज लेती है। पिछले कई दशकों से वर्तमान तक राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए सरकारों द्वारा लिए गए कर्ज का आंकलन करें, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि, कर्ज की राशि निरंतर बढ़ती ही जा रही है।
कितना है विदेशी कर्ज!
सरकार कई सारे स्रोतों से कर्ज लेती है। इसमें देशी और विदेशी कर्ज भी शामिल हैं। देश में वह किसी बीमा कंपनी, भारतीय रिजर्व बैंक, कॉर्पोरेट कंपनी या किसी दूसरे बैंक से कर्ज लेती है। विदेश में वह इंटरनेशनल मोनेटरी फंड , वर्ल्ड बैंक या अन्य अंतरराष्ट्रीय बैंक से कर्ज लेती है। भारत पर वर्तमान में कुल विदेशी कर्ज करीब 712 अरब डॉलर का है। यहां की जनसंख्या करीब 1.40 अरब है।
एक अन्य आंकड़े के मतवर्ष 2005 में भारत का कुल कर्ज 17 लाख करोड़ रुपए था , जो 2013 में बढ़कर 50 लाख करोड़ रुपए हो गया। इस तरह से कुल कर्ज में 190 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। 2014 से सितंबर 2023 तक के 9 साल में 55 लाख करोड़ से बढ़कर 161 लाख करोड़ रुपए तक हो गया। इस तरह से देखें तो के 2014 से सितंबर 2023 तक कर्ज की राशि 220 फीसदी बढ़ी है।