प्रयागराज, बॉलीवुड में अपनी अलग पहचान बनाने वाली अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने प्रयागराज में महाकुंभ में भाग लेकर आध्यात्म की ओर रुख किया, जहां उन्होंने संन्यास ग्रहण किया। उन्होंने सब मोह-माया त्याग कर संन्यास की दीक्षा ले ली. अब वह किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बन गई हैं
यामाई ममता नंद गिरि होगा नया नाम
अभिनेत्री ममता कुलकर्णी ने अपना पिंडदान कर महामंडलेश्वर की उपाधि ली है। किन्नर अखाड़े की अध्यक्ष लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उन्हें दीक्षा दी.।वहीं महामंडलेश्वर बनने के बाद अब उनका नया नाम श्रीयामाई ममता नंद गिरि रखा गया है। ममता के किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर बनने के बाद, सवाल उठ रहा है कि क्या अब ममता कुलकर्णी भी किन्नर बन गईं ममता कुलकर्णी? बता दें कि किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर बनने के लिए किन्नर होना आवश्यक नहीं है।
ममता कुलकर्णी ने बताया कि, ‘ ये सब महाकाल आदिशक्ति की इच्छाशक्ति है. मुझसे कल ही महामंडलेश्वर बनने के बारे पूछा गया . इसके बाद इसपर सोचने के लिए मैंने बस एक दिन का समय लिया कि मुझे यह लेना चाहिए या नहीं. जब मुझे पता चला कि किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर में किसी चीज की बंदिश नहीं है. आप स्वतंत्र रह सकते हो. धार्मिक रूप से कुछ भी कर सकते हो. तब मैनें महामंडलेश्वर बनने का फैसला किया. ये बिल्कुल ग्रेजुएशन मास्टर की डिग्री की तरह है. जैसे ग्रेजुएशन पूरी होने के बाद आपको कॉलेज से सर्टिफिकेट मिलता है। वैसे ही इसमें भी महामंडलेश्वर सार्टिफिकेट होता है कि आपने 23 साल तक तपस्या की। मेरा यह अवॉर्ड है।
वहीं ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनाये जाने पर संत बंट गए हैं। एक तरफ संतों का कहना है कि किसी को भी संत बनाने से पहले उसका चरित्र देखा जाता है। ऐसे किसी को भी उठाकर संत नहीं बना सकते हैं। ये महापाप हुआ है। तो वहीं दूसरी तरफ कुछ संतो का कहना है कि संन्यास लेने वाले को महामंडलेश्वर बनाया जा सकता है।
शांभवी पीठाधीश्वर श्री स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े से महामंडलेश्वर बनाए जाने को लेकर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा- किन्नर अखाड़े को मान्यता नहीं दी जानी चाहिए थी। जिस प्रकार की अनुशासनहीनता हो रही है, वो बहुत घातक है। ये सनातन धर्म के साथ एक धोखा है, एक छल है.
निरंजनी आनंद अखाड़े के महामंडलेश्वर बालकानंद जी महाराज ने कहा- महामंडलेश्वर पद अखाड़े का है। अखाड़े सब स्वतंत्र हैं। महामंडलेश्वर बनाने के लिए ऐसे ही किसी को उठाकर नहीं बना सकते पदवी देने से पहले ये देखा जाता है कि उस व्यक्ति का चरित्र कैसा है? किस तरह से उसकी जीवन धारा है, उसकी दिनचर्या क्या रही है।अगर वह संन्यास नहीं लिया है, तो उसको महामंडलेश्वर नहीं बना सकते हैं.
जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता नारायण गिरी जी महाराज ने कहा- देश का कोई विद्वान, राष्ट्रहित में कार्य करने वाला, अध्यात्म में कार्य करने वाला या सामाजिक कार्य करने वाले को संन्यासी को अखाड़े महामंडलेश्वर पद की उपाधि से दे सकते हैं। फिल्म अभिनेत्री बनना कोई दोष तो नहीं है। हमारे यहां एक वैश्या को भी गुरु बनाया गया था, इसलिए यहां योग्यता से किसी को भी महामंडलेश्वर बनाया जा सकता है।
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने ममता के महामंडलेश्वर बनने पर खुशी जताई है। उनका स्वागत करते हुए कहा कि , “बहुत-बहुत आशीर्वाद साधुवाद. वैराग्य कभी भी आ सकता है”।