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नौ साल बाद Uttarakhand में छलके इतने जाम, पहली बार शराब से मिला टारगेट से ज्‍यादा रेवेन्‍यू - Separato Spot Witness Times
राज्य समाचार

नौ साल बाद Uttarakhand में छलके इतने जाम, पहली बार शराब से मिला टारगेट से ज्‍यादा रेवेन्‍यू

उत्तराखंड में आबकारी विभाग के राजस्व में लगातार वृद्धि हो रही है। 2023-24 में पहली बार लक्ष्य से अधिक प्राप्ति हुई। शराब की दुकानों के नवीनीकरण की प्रक्रिया वाले वर्षों में राजस्व प्राप्ति आसान रही है। आबकारी आयुक्त एचसी सेमवाल के अनुसार शराब की दुकानों का नवनिर्माण के माध्यम से आवंटन अधिकतम राजस्व सुरक्षित रखने का एकमात्र माध्यम बनकर सामने आया है।

उत्तराखंड के राजस्व में योगदान में आबकारी विभाग का स्थान प्रमुख है। ऐसे में बहुत कुछ आबकारी विभाग की नीति पर भी निर्भर करता है। ताकि शराब तस्करी पर अंकुश लगाने के साथ ही शराब की नियंत्रित खपत के साथ अधिकतम राजस्व हासिल किया जा सके।
देखा जाए तो आबकारी राजस्व के लिहाज से वर्ष 2014-15 से 2022-23 की अवधि ऋणात्मक रही। इन नौ वर्षों में आबकारी का राजस्व लक्ष्य प्राप्त नहीं किया जा सका। पहली बार 2023-24 में लक्ष्य से अधिक की प्राप्ति हुई और वर्तमान वित्तीय वर्ष के साथ ही भविष्य के लिहाज से भी अपेक्षा के अनुरूप संकेत मिल रहे हैं।

दुकानों के नवीनीकरण की प्रक्रिया वाले वर्षों में राजस्व प्राप्ति आसान
यह भी महज एक संयोग नहीं की लाटरी वाले वर्षों के मुकाबले दुकानों के नवीनीकरण की प्रक्रिया वाले वर्षों में राजस्व प्राप्ति आसान रही। आबकारी आयुक्त एचसी सेमवाल के अनुसार आबकारी नीति काफी कुछ निर्धारित करती है।

विगत वर्षों के अनुभव से सीख लेते हुए शराब की दुकानों का आवंटन नवीनीकरण प्रक्रिया के माध्यम से किया जा रहा है। क्योंकि, लाटरी वाले वर्षों में राजस्व लक्ष्य की प्राप्ति मुश्किल रही, जबकि नवीनीकरण प्रक्रिया में राजस्व हासिल किया जा सका।

बीते कुछ समय में सरकार ने ऐसे बड़े बदलाव किए हैं, जिससे घाटे में चल रहे व्यवसायियों ने इससे उबरते हुए सरकार के प्रति अपना भरोसा भी बढ़ाया। इन प्राविधानों से शराब के दम में खास वृद्धि नहीं हुई और इससे उपभोक्ताओं के हित भी प्रभावित नहीं हुए

 

आबकारी आयुक्त सेमवाल के अनुसार शराब की दुकानों का नवनिर्माण के माध्यम से आवंटन अधिकतम राजस्व सुरक्षित रखने का एकमात्र माध्यम बनकर सामने आया है। इसी कारण उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे बाद राज्य भी कई वर्षों से नवीनीकरण की प्रक्रिया अपना रहे हैं। राजस्थान ने तो इस वर्ष पिछली नीति को ही आगामी चार वर्षों के लिए नवीनीकरण की व्यवस्था को लागू कर दिया है।

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