उत्तराखंड परिवहन निगम की आडिट रिपोर्ट में कबाड़ बसों की नीलामी में भी 1.32 करोड़ रुपये का घपला सामने आया है। महालेखाकार कार्यालय की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 से 2023 के दौरान देहरादून, नैनीताल व टनकपुर मंडल में बसों की नीलामी की धनराशि में भारी अंतर पकड़ में आया है। निगम ने बसों की नीलामी 7.09 करोड़ रुपये दर्शायी, जबकि टीसीएस रिटर्न में यह कीमत 8.42 करोड़ रुपये बताई गई। बताया गया कि परिवहन निगम इसका कोई ठोस जवाब नहीं दे सका।
आडिट रिपोर्ट के अनुसार परिवहन निगम की ई-टेंडर प्रक्रिया में भी ठेकेदारों से साठगांठ की पोल खुली है। इस दौरान 12 ई-टेंडर की जांच की गई तो पाया गया कि इनमें से छह ई-टेंडर एक ही कंप्यूटर से फाइल किए गए। आडिट टीम ने यह राजफाश कंप्यूटर के आइपी एड्रेस की जांच के आधार पर किया।
आडिट रिपोर्ट में परिवहन निगम की ओर से बसों के ठहराव के लिए अनुबंधित ढाबों के अनुबंध पर सवाल उठाए गए हैं। आरोप है कि टेंडर किसी और व्यक्ति ने डाला जबकि ठेका किसी और को दिया गया। निगम को वर्ष 2022-23 में 4.11 करोड़ रुपये की आय अनुबंधित ढाबों से हुई, लेकिन निगम अनुबंधित फर्म से जुड़ी अन्य सुविधाओं की जानकारी नहीं दे सका। बता दें कि, इस मामले में निगम अधिकारियों के विरुद्ध विजिलेंस जांच भी चल रही है।परिवहन निगम की कार्यशालाओं में बसों के लिए खरीदे जाने वाले उपकरणों के सैंपल को लेकर भी वित्तीय अनियमितता एवं गड़बड़ी सामने आई है। आडिट रिपोर्ट के अनुसार बसों में लगने वाले उपकरणों के सैंपल जांच एजेंसी में फेल होने के बावजूद उनका उपयोग कर लिया गया। नवंबर 2021 से मार्च 2023 के दरमियान 43 सैंपल सीआइआरटी पुणे में जांच के लिए भेजे गए, जिनमें चार सैंपल फेल हो गए। जांच रिपोर्ट आने से पूर्व ही 8.55 लाख रुपये के यह उपकरण खरीद लिए गए और बाद में कटौती कर फर्म को 7.80 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया।
परिवहन निगम की अनुबंधित बसें बिना परमिट के दौड़ रही हैं। जांच में ऐसे सात मामले सामने आए, जिनमें दुर्घटना के कारण न्यायालय में मुकदमा चला और परिवहन निगम को 37.99 लाख रुपये जुर्माना चुकाना पड़ा। यह सभी दुर्घटनाएं उन बसों की हुई थी, जिनमें परमिट ही नहीं था। यही नहीं, अनुबंधित बसों में बीमा की समुचित व्यवस्था पर भी सवाल उठाए गए हैं।