दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो गैंगरेप के दोषियों को सजा में छूट देने वाले गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया है। गुजरात सरकार ने 2022 के अगस्त महीने में बिलकिस बानो गैंगरेप केस में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषियों की शेष सजा को माफ करते हुए रिहा कर दिया था। गुजरात सरकार के इस फैसले को पीड़िता बिलकिस बानो सहित अन्य संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद रिहा किए गए सभी दोषियों को जेल जाना पड़ सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा, कोर्ट का मानना है कि राज्य, जहां किसी अपराधी पर मुकदमा चलाया जाता है और सजा सुनाई जाती है, वह दोषियों की माफी याचिका पर निर्णय लेने में सक्षम है। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि दोषियों की सजा माफी का आदेश पारित करने के लिए गुजरात राज्य सक्षम नहीं है। बल्कि महाराष्ट्र सरकार सक्षम है। उल्लेखनीय है कि, बिलकिस बानो गैंगरेप का मुकदमा गुजरात से महाराष्ट्र हस्तांतरित कर दिया गया था। मुंबई की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई, 2022 के फैसले का हवाला दिया, जिसमें गुजरात सरकार को दोषी को माफ करने पर विचार करने का निर्देश दिया गया था। वह भौतिक तथ्यों को छिपाकर प्राप्त किया गया था। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि दोषियों ने साफ हाथों से अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाया था।
मुंबई की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 21 जनवरी 2008 को सभी 11 दोषियों को बिलकिस बानो के गैंगरेप और परिवार के सात सदस्यों की हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले को मुंबई हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा था। गौरतलब है कि गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि गोविंद नाई, जसवंत नाई और नरेश कुमार मोढ़डिया ने बिलकिस के साथ दुष्कर्म किया था। शैलेश भट्ट ने बिलकिस की बेटी की जान ली थी। राधेश्याम शाह, विपिन चंद्र जोशी, केशरभाई वोहानिया, प्रदीप मोढ़डिया, बाकाभाई वोहानिया, मितेश भट्ट, राजूभाई सोनी और रमेश चांदना को दुष्कर्म और हत्या का दोषी बताया गया था। सभी दोषी गुजरात की जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे थे।गुजरात सरकार ने 2022 में सभी दोषियों की सजा माफ कर जेल से रिहा कर दिया था।
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