December 9, 2025

सुप्रीम कोर्ट में आम नागरिकों की समस्याओं और स्वतंत्रता से जुड़े मामले प्राथमिकता पर सूचिबद्ध होंगे,

Delhi 30 November 2025,

सुप्रीम कोर्ट आम नागरिकों की समस्याओं और स्वतंत्रता से जुड़े मामलों को प्राथमिकता देते हुए शीघ्र ही सूचिबद्ध करेगी। भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत के निर्देश पर सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने नई व्यवस्था लागू की है। इसके तहत जहां आम जनता की स्वतंत्रता का प्रश्न हो या तुरंत अंतरिम राहत की मांग की गई हो, ऐसे मामलों को सत्यापन और त्रुटि निवारण के बाद दो कार्यदिवस के भीतर मुख्य या पूरक सूची में शामिल किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट में 1, दिसंबर से नए नियम लागू हो जाएंगे। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार इन चार सर्कुलरों का सबसे बड़ा असर यह होगा कि सीनियर एडवोकेट अब किसी भी मामले की मौखिक मेंशनिंग नहीं कर सकेंगे और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़े सभी जरूरी मामलों की स्वत: लिस्टिंग दो वर्किंग-डे के अंदर होगी। कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि तुरंत अंतरिम राहत वाले मुद्दे जैसे बेल, अग्रिम जमानत, हैबियस कॉर्पस, डेथ पेनल्टी, बेदखली या ध्वस्तीकरण रोक बिना देरी सीधे सूचीबद्ध किए जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि नियमित जमानत, अग्रिम जमानत और जमानत रद्द करने से जुड़े सभी मामलों की प्रति भारत सरकार, राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश के संबंधित नोडल अधिकारी या स्थायी वकील को अनिवार्य रूप से भेजनी होगी। इन मामलों में एक अलग आवेदन दाखिल करना होगा, जिसके बिना न तो केस सत्यापित होगा और न ही कोर्ट की सूची में रखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की इस पहल का उद्देश्य आम जनता के हित से जुड़े मामलों की सुनवाई को तेज और सुगम बनाना है।

सुप्रीम कोर्ट ने नए मामलों की सूचीबद्धता को लेकर भी एक शेड्यूल जारी किया है। अब मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को सत्यापित हुए मामले अगले सोमवार को सूचीबद्ध होंगे। शुक्रवार, शनिवार और सोमवार को सत्यापित हुए मामले अगले शुक्रवार को रखे जाएंगे। नई व्यवस्था के तहत नए केस अपने आप सूची में आ जाएंगे और अब तक की तरह वादियों को कोर्ट में अपने मामलों का मेंशन करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि उपरोक्त श्रेणी के मामलों को सूचिबद्ध करने में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने दहेज प्रथा को लेकर भी बेहद कड़ी टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस विवाह को भारतीय समाज में जीवन का सबसे पवित्र बंधन माना जाता था वह आज दहेज की वजह व्यावसायिक सौदे में बदल गया है। कोर्ट ने कहा कि आधुनिक समय में लोग विवाह उपहारों, पैसों और दिखावे के साथ जोड़ देते हैं। जिससे इस रिश्ते की आत्मा ही कमजोर हो रही है। दहेज को उपहार या परंपरा बताने की कोशिश की जाती है। लेकिन वास्तव में यह लालच का अघोषित रूप है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवाह के मूल में परस्पर प्रेम, विश्वास और समानता होनी चाहिए। कोर्ट ने देश के युवाओं, अभिभावकों और सामाजिक संगठनों से मिलकर दहेज के खिलाफ माहौल तैयार करने की अपील की है। इसके बिना न तो दहेज हत्या रुकेंगी, और न ही महिलाओं पर अत्याचार कम होगा।

 

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright2017©Spot Witness Times. Designed by MTC, 9084358715. All rights reserved. | Newsphere by AF themes.