छठ पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। कहा जाता है यह पर्व मैथिल,मगध और भोजपुरी लोगो का सबसे बड़ा पर्व है ये उनकी संस्कृति है। छठ पर्व बिहार मे हर्षोल्लास से मनाया जाता है। ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार कि संस्कृति बन चुका हैं। यह पर्व बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति कि एक छोटी सी झलक दिखाता हैं। ये पर्व मुख्यतः रुप से ॠषियों द्वारा लिखी गई ऋग्वेद मे सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार बिहार मे यह पर्व मनाया जाता हैं।
छठ पर्व पर सूर्य देव और छठी मैया की विधि-विधान से पूजा की जाती है। छठ पर्व नहाय- खाय से शुरू होकर पारण तक चलता है। इस वर्ष छठ पर्व का आरंभ 17 नवंबर से हो रहा है। इस व्रत का समापन इस बार 20 नवंबर को होगा। छठ पर्व में सूर्य नारायण की पूजा की जाती है। इसके साथ छठी मैया की पूजा की जाती है। छठ पूजा पूरे चार दिन चलती है ।
छठ पूजा के दौरान महिलाएं भगवान सूर्य और छठी मैया का आशीर्वाद पाने के लिए 36 घंटे का उपवास रखती हैं। छठ के पहले दिन को नहाय खाय कहा जाता है। श्रद्धालु गंगा नदी अथवा पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। छठ करने वाली महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और भक्त भगवान सूर्य के लिए प्रसाद तैयार करते हैं। दूसरे और तीसरे दिन को खरना और छठ पूजा कहा जाता है। छठ पर्व के चौथे दिन प्रातः काल में महिलाएं पानी में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं और फिर 36 घंटे का उपवास तोड़ती हैं।