December 18, 2025

हजारों कर्मियों के पुरानी पेंशन पर धामी कैबिनेट बैठक में होगा फैसला

1 अक्तूबर 2005 के पहले विज्ञप्ति या मृतक आश्रित कर्मचारी जिनकी नियुक्ति पहले हुई हो, पर कैबिनेट में निर्णय लिया जाएगा। 11 जुलाई को मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू की अध्यक्षता में हुई बैठक का कार्यवृत्त जारी हो गया है, जिसमें पांच प्रमुख बिंदुओं पर निर्णय लिए गए हैं। कार्यवृत्त के मुताबिक, केंद्र सरकार के फैसले के तहत राज्य में उन कर्मचारियों, जिनकी भर्ती की विज्ञप्ति एक अक्तूबर 2005 से पूर्व निकली और ज्वाइनिंग इसके बाद हुई है, का प्रकरण कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा।

मृतक आश्रित कोटे के अंतर्गत नियुक्त कार्मिक जिनकी नियुक्ति एक अक्तूबर 2005 से पूर्व हो और ज्वाइनिंग इसके बाद हुई हो, उन्हें पुरानी पेंशन देने का मामला भी कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। आयुष विभाग के एक चिकित्सक जिन्होंने वर्ष 1986, 1988, 1992, 1998 में नियुक्ति पाई थी, जो 2006 और 2012 में विनियमित हुए हों। उनका चयन प्रक्रिया के माध्यम से नहीं बल्कि विभागीय चयन के माध्यम से तदर्थ रूप से नियुक्त हुए थे, उनके मामले में अलग से फैसला लिया जाएगा।

पुरानी पेंशन से वंचितों पर सीएम धामी कैबिनेट लेगी फैसला, उत्तराखंड सरकार का यह बना है प्लानदेर से ज्वाइनिंग की वजह से पुरानी लाभकारी पेंशन योजना से चूके वर्ष 2005 से पहले की भर्ती में चयनित शिक्षक कार्मिकों पर फैसला सीएम धामी कैबिनेट लेगी।

मुख्य सचिव ने वित्त विभाग को इसका प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं। इसके दायरे में करीब पांच हजार कर्मचारी आएंगे। मंगलवार को वित्त सचिव डॉ. वी. षणमुगम ने पुरानी पेंशन मामले में मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु की अध्यक्षता में 11 जुलाई को हुई बैठक के मिनट्स जारी किए।उधर, नई पेंशन योजना में कार्मिकों को ज्यादा से ज्यादा लाभ दिलाने को वित्तीय विशेषज्ञ उन्हें निवेश के टिप्स देंगे। शिक्षक और कर्मचारियों के लिए नई योजना को ज्यादा लाभकारी बनाने के लिए सुझाव देने को सरकार वित्तीय सलाहकार एजेंसी नियुक्त करने जा रही है।

इस संबंध में मुख्य सचिव ने वित्त विभाग को निर्देश दिए । यह एजेंसी बेहतर फंड मैनेजर का चयन करने व बेहतर रिटर्न देने वाले शेयरों में निवेश की जानकारी देगी।

मालूम हो, केंद्र के तीन मार्च 2023 को जारी आदेश के अनुसार कार्मिकों को पुरानी पेंशन योजना में शामिल होने का विकल्प देने के लिए 31 अगस्त 2023 तक का वक्त दिया गया है। मृतक आश्रित कोटे से नियुक्त कार्मिकों का मामला भी इसी प्रकार कैबिनेट में रखा जाएगा।

 

आयुष विभाग के वर्ष 2006 और 2012 में नियमित हुए तदर्थ चिकित्साधिकारियों पर अलग से निर्णय लिया जाएगा। पावर कारपोरेशन के कार्मिकों की पेंशन भुगतान की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर रखे जाने को भी गंभीरता से लिया गया है। मुख्य सचिव ने पूछा है कि पावर कारपोरेशन स्वयं वित्त पोषित है। मुख्य सचिव ने ऊर्जा विभाग से रिपोर्ट मांगी है।

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