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मुकदमे का डर दिखाकर बुजुर्ग को साढ़े आठ घंटे रखा डिजिटल अरेस्ट, 52 लाख रुपये ठगे - Separato Spot Witness Times
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मुकदमे का डर दिखाकर बुजुर्ग को साढ़े आठ घंटे रखा डिजिटल अरेस्ट, 52 लाख रुपये ठगे

 

पीड़ित ने बताया कि वह सेवानिवृत्त बैंककर्मी हैं। बीते 13 सितंबर सुबह 9 बजे उन्हें एक व्हाट्सएप कॉल आई। कॉल करने वाले व्यक्ति ने स्वयं को तिलकनगर मुंबई का पुलिसकर्मी बताया। इसके बाद उन्हें डिजिटल अरेस्ट किया

साइबर ठगों ने रेलवे रोड निवासी एक बुजुर्ग को करीब साढे आठ घंटे डिजिटल अरेस्ट कर 52 लाख 50 हजार रुपये की ठगी कर ली। बुजुर्ग को जब ठगी का अहसास हुआ तो उन्होंने साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराई है।

शुक्रवार को रेलवे रोड निवासी योगेश चंद्र श्रीवास्तव ने प्रेस क्लब में पत्रकारों से वार्ता की। उन्होंने बताया वह सेवानिवृत्त बैंककर्मी हैं। बीते 13 सितंबर सुबह 9 बजे उन्हें एक व्हाट्सएप कॉल आई। कॉल करने वाले व्यक्ति ने स्वयं को तिलकनगर मुंबई का पुलिसकर्मी बताया। कहा कि आपके आधार कार्ड के आधार पर केनरा बैंक की मुंबई तिलक नगर शाखा में खाता खोला गया है। जिसमें कई लोगों ने धनराशि जमा की है।

आपके खिलाफ 17 लोगों ने शिकायत दर्ज कराई है। जिसकी जांच हमारे पास है। आप दो दिन के भीतर तिलक नगर मुंबई पुलिस में रिपोर्ट करें। योगेश चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि फोन करने वाले व्यक्ति ने एफआईआर की कॉपी भी फोन पर भेजी और कहा कि हमने एक अकाउंट सीज किया है।

आपके अकाउंट और एफडी में जितनी धनराशि है उस एकाउंट में डाल दो। फोन करने वाले व्यक्ति ने उन्हें अकाउंट नंबर भी दिया। योगेश चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि करीब साढ़े तीन बजे उन्होंने फोन करने वाले व्यक्ति की ओर से बताए गए अकाउंट में अपनी सभी एफडी आदि के पैसे डाल दिए।

बताया कि उन्होंने अपना लखनऊ का मकान बेचा था। जिसकी धनराशि की उन्होंने एफडी आदि की थी। कुल साढ़े 52 लाख रुपये उन्होंने फोन करने वाले व्यक्ति के बताए अकाउंट में डाले। बाद में उन्हें ठगी का अहसास हुआ।

एसपी देहात लोकजीत सिंह ने कहा कि बुजुर्ग के साथ धोखाधड़ी के मामले में कार्रवाई की जा रही है। ऐसे अपराधों से बचने के लिए लोगों को भी सतर्क रहने की आवश्यकता है।

क्या होता है डिजिटल अरेस्ट
इस तरह की धोखाधड़ी में धोखेबाज स्वयं को पुलिस या प्रवर्तन अधिकारी के रूप में पेश करते हैं और डर का माहौल पैदा कर ठगी करते हैं। यह पूरी प्रक्रिया फोन पर ही होती है। कॉल करने वाला व्यक्ति वित्तीय धोखाधड़ी, ड्रग तस्करी या मनी लॉन्ड्रिंग जैसे गंभीर अपराधों के आरोप में गिरफ्तारी का भय दिखाते हैं। वर्तमान में डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़ रहे हैं।

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