December 10, 2025

भूकंप के प्रभाव को लेकर गढ़वाल मंडल अधिक संवेदनशील, वाडिया इंस्टीट्यूट ने किया नया मॉडल विकसित

भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड जोन छह में है। पूर्व चेतावनी देने का तंत्र भी विकसित नहीं हुआ है। भूकंप आने की दशा में कहां पर अधिक प्रभाव हो सकता है, इसका आकलन वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान ने किया। अध्ययन के अनुसार अनुमान है कि भूकंप आया तो उसका प्रभाव गढ़वाल और कुमाऊं मंडल में अलग- अलग रहेगा। इसमें तुलनात्मक तौर पर गढ़वाल मंडल अधिक संवेदनशील है।

भूकंप के प्रभावों के अध्ययन के लिए एक मॉडल होता है, जिसमें उद्भव स्थल, भूमि, सोर्स आदि के माध्यम से अनुमान लगाया जाता है। इसे सेमी- एम्पिरिकल तकनीक कहा जाता है पर वाडिया संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस माॅडल में कुछ बदलाव किया। इसमें राज्य की भूमि की संरचना, पुराने छोटे भूकंप के साथ ही उत्तरकाशी में 1991 में रिक्टर स्केल पर आए 6.8 तीव्रता और नेपाल में 2011 में आए 5.4 तीव्रता के भूकंप का डेटा भी इस्तेमाल किया।

इससे नया स्ट्रांग भूकंप ग्राउंड मोशन मॉडल तैयार हुआ। क्षेत्रीय स्थितियों का डेटा इस्तेमाल कर तैयार हुए इस नए मॉडल के हिसाब से भूकंप के प्रभाव का अनुमान लगाया, तो उसमें कुमाऊं और गढ़वाल मंडल प्रभाव का अलग- अलग अनुमान सामने आया। इस अध्ययन से जुड़े वैज्ञानिक प्रवीण कुमार व अन्य शोधार्थियों का रिसर्च पेपर जर्नल आफ अर्थ सिस्टम साइंस में वर्ष-2023 में प्रकाशित हुआ था।
अलग- अलग प्रभावों क कारणों का रहस्य भी सुलझा

कुमाऊं और गढ़वाल में भूकंप का प्रभाव क्यों- क्यों अलग रहेगा, यह सवाल वैज्ञानिकों को मथ रहा था। फिर इस कारण को जानने में वैज्ञानिक प्रवीण कुमार व अन्य वैज्ञानिक जुटे। वैज्ञानिकों ने आगे अध्ययन किया तो पता चला कि कुमाऊं और गढ़वाल की भूमि संरचना में अंतर है। कुमाऊं में मलबे के साथ पानी वाली (सेमी लिक्विड फ्ल्यूड) परत भूमि में सात से आठ मीटर पर मिलती है जबकि यही परत गढ़वाल में 11 से 12 मीटर पर है। वैज्ञानिकों के भूमि की संरचना से भूकंप के प्रभाव पर असर डालती है

यह बात दोनों जगहों पर दिखाई देती है कुमाऊं में सेमी लिक्विड फ्ल्यूड के तुलनात्मक तौर पर ऊपर होने है, ऐसे में अगर भूकंप आता है तो उसकी एनर्जी को वह अधिक प्रभावित करेगा, इससे उसका प्रभाव कम हो जाएगा। जबकि गढ़वाल में गहराई में परत होने से भूकंप की एनर्जी कम अवशोषित हो पाएगी और उसका प्रभाव अधिक रहेगा। इस दृष्टि से गढ़वाल मंडल अधिक संवेदनशील है। यह रिसर्च पेपर स्वॉयल डायनेमिक्स अर्थक्वेक इंजीनियरिंग में वर्ष 2024 प्रकाशित हुआ था।

Share

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Copyright2017©Spot Witness Times. Designed by MTC, 9084358715. All rights reserved. | Newsphere by AF themes.