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आपदा में हेलीकॉप्टर के साथ अब ड्रोन से भी ली जाएगी मदद, 900 स्वयंसेवक तैयार - Separato Spot Witness Times
राज्य समाचार

आपदा में हेलीकॉप्टर के साथ अब ड्रोन से भी ली जाएगी मदद, 900 स्वयंसेवक तैयार

ड्रोन की जरूरत को देखते हुए आईटीडीए से सर्विस सेवा के रूप में ड्रोन लेने का निर्णय लिया गया है। जरूरत के समय ड्रोन प्रोवाइडर से रेंट पर ड्रोन लेकर इस्तेमाल किया जाएगा।

 

आपदा में ड्रोन से भी मदद ली जाएगी। इसके लिए आपदा प्रबंधन विभाग ने 900 स्वयंसेवक तैयार कर लिए हैं। इन सभी को नेहरू पर्वतारोहण संस्थान से प्रशिक्षण दिलाया गया है। आपदा विभाग इस बार मानसून सीजन में हेलीकॉप्टर के साथ ड्रोन इस्तेमाल और जनसहभागिता बढ़ाने पर जोर दे रहा है ताकि आपदा के दौरान स्थानीय लोग तुरंत रिस्पांस कर सकें। सचिव आपदा प्रबंधन डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि आपदा के दौरान हेलीकॉप्टर के साथ ड्रोन भी इस्तेमाल किए जाएंगे।

 

ड्रोन की जरूरत को देखते हुए आईटीडीए से सर्विस सेवा के रूप में ड्रोन लेने का निर्णय लिया गया है। क्योंकि अगर ड्रोन खरीदते हैं तो उसको खरीदने के खर्च के साथ ही ऑपरेटर का भी खर्च आता है। ऐसे में आपदा विभाग ने निर्णय लिया है कि जरूरत के समय ड्रोन प्रोवाइडर से रेंट पर ड्रोन लेकर इस्तेमाल किया जाएगा। वर्तमान समय में ड्रोन की क्षमता भी बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि स्थानीय स्तर पर लोग किसी भी घटना के दौरान तत्काल रिस्पांस कर सकते हैं।

 

हर जगह तत्काल होमगार्ड, सिविल डिफेंस, पुलिस और एसडीआरएफ को नहीं भेज सकते हैं क्योंकि इसमें समय लगता है। आपदाओं को देखते हुए 900 स्वयंसेवकों को नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग (एनआईएम) से प्रशिक्षित किया गया है। इनको पूरी किट भी उपलब्ध कराई गई है।

 

तीन स्थानों पर लगाए गए डॉप्लर रडार

सचिव आपदा डॉ. रंजीत सिन्हा ने बताया कि प्रदेश में तीन स्थानों सुरकंडा देवी, मुक्तेश्वर और लैंसडाैन में डॉप्लर रडार लगाए गए हैं। एक रडार करीब 100 किमी दायरे में मौसम का पैटर्न डिटेक्ट करता है। रियल टाइम डाटा देता है। ये रडार क्लाउड थिकनेस और क्लाउड लोकेशन भी तत्काल बता देते हैं, जिससे आधे घंटे पहले ही सटीक पूर्वानुमान हो जाता है।

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