दिल्ली, बाकू, अज़रबैजान में कॉप-29 में जलवायु वित्त और शमन कार्य कार्यक्रम में विकसित देशों द्वारा कॉप-28 में ग्लोबल स्टॉकटेक से शमन पैरा को एमडब्ल्यूपी में शामिल करने की मांग की है। भारत ने विकसित देशों की इस मांग को व्यवधान उत्पन्न करने वाला बताया है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने पूर्व की सहमति के विपरीत एमडब्ल्यूपी के दायरे को बढ़ाने के विकसित देशों के आग्रह पर असंतोष व्यक्त किया। भारत ने कहा, इस मांग से एजेंडा आइटम पर प्रगति बाधित हो रही है। भारत का यह रुख विकासशील देशों (एलएमडीसी), अरब समूह और अफ्रीकी वार्ताकारों के समूह (एजीएन) द्वारा व्यक्त विचारों के अनुरूप है।
भारत ने सप्ताह के दौरान कॉप-29 की प्रगति पर गंभीर चिंता व्यक्त की। बयान में कहा गया है, ”हमने विकासशील देशों के लिए महत्वपूर्ण मामलों में कोई प्रगति नहीं देखी है। दुनिया का हमारा भाग जलवायु परिवर्तन के कुछ सबसे बुरे प्रभावों का सामना कर रहा है, हम में उन प्रभावों जिनके लिए हम जिम्मेदार नहीं हैं उनसे उबरने या जलवायु प्रणाली में बदलावों को अपनाने की क्षमता बहुत कम है।
भारत ने अपने बयान में आगे कहा गया है, “हम कॉप-27 में शर्म अल-शेख शमन महत्वाकांक्षा और कार्यान्वयन कार्य कार्यक्रम, पेरिस समझौते में वैश्विक स्टॉकटेक के संदर्भ में पहले हुए कॉप समिट में लिए गए निर्णयों जो पक्षों को जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई करने के लिए कहते हैं, उनकी उपेक्षा करने की प्रवृत्ति देख रहे हैं।
भारत ने जोर देकर कहा कि जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई करने की सबसे अधिक क्षमता रखने वाले देशों ने लगातार लक्ष्य बदले हैं, जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई में देरी की है और वैश्विक कार्बन बजट का अत्यधिक असमान हिस्सा खर्च किया है। मुख्य वार्ताकार ने कहा, “हमें अब कार्बन बजट में लगातार कमी और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों की स्थिति में अपनी विकास संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करना है। हमसे उन लोगों द्वारा शमन महत्वाकांक्षा बढ़ाने के लिए कहा जा रहा है जिन्होंने न तो अपनी स्वयं की शमन महत्वाकांक्षा और कार्यान्वयन में, न ही कार्यान्वयन के साधन प्रदान करने में ऐसी कोई महत्वाकांक्षा दिखाई है।”
भारत ने वक्तव्य में कहा गया है कि इस नीचे से ऊपर की ओर के दृष्टिकोण को ऊपर से नीचे की ओर के दृष्टिकोण में बदलने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके तहत एमडब्ल्यूपी के पूरे अधिदेश और पेरिस समझौते के सिद्धांतों को पलटने का प्रयास किया जा रहा है।
India expressed dissatisfaction at COP 29 over developed countries’ demand to include mitigation paragraph from COP 28 Global Stocktake in MWPs.