October 31, 2025

इसरो ने किया रॉकेट जीएसएलवी-एमके२ का श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण

Shriharikota, 30 July 2025,

Nisar Mission Launch: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने बुधवार को रॉकेट जीएसएलवी-एमके२ का श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण किया है। निसार सैटेलाइट अंतरिक्ष में पहुंचा गया है। सैटेलाइट अंतरिक्ष से धरती की निगरानी करेगा।

नासा और इसरो के परस्पर सहयोग से निसार मिशन संचालित गया है। निसार मिशन पर 12,500 करोड़ रुपए) खर्च हुए हैं। इसमें भारत का हिस्सा 788 करोड़ रुपए है। निसार सिर्फ 12 दिनों में धरती की लगभग पूरी जमीन और बर्फ से ढकी सतह का नक्शा तैयार कर लेगा।

निसार उपग्रह में सिंथेटिक अपेरटस रडार सार है। यह एल-बैंड और एस-बैंड माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम फ्रीक्वेंसी पर काम करता है। एल-बैंड लगभग 1-2 गीगाहर्ट्ज पर काम करता है। इसकी वेवलेंथ करीब 15-30 सेमी होती है। यह वनस्पति, मिट्टी और बर्फ जैसी सतहों में गहराई तक प्रवेश कर सकता है। वहीं, एस-बैंड 2-4 गीगाहर्ट्ज की हाई फ्रीक्वेंसी पर काम करता है। इसकी वेवलेंथ लगभग 7.5-15 सेमी होती है। यह बनावट संबंधी सूक्ष्म जानकारी रिकॉर्ड करता है।

एल-बैंड एसएआर वनों, मिट्टी की नमी और जमीन की हलचल का अध्ययन करने के लिए इस्तेमाल होता है। इसका रिजॉल्यूशन कम होता है। दूसरी ओर, एस-बैंड एसएआर हाई रिजॉल्यूशन लेकिन कम गहराई वाली तस्वीर देता है। इससे शहरी बुनियादी ढांचे और बाढ़ की बेहतर निगरानी होती है। तूफान प्रभावित क्षेत्रों को ठीक तरह देखा जा सकता है। एल-बैंड और एस-बैंड साथ मिलकर धरती की सतह और इसपर हो रही हलचल की सटीक जानकारी देते हैं।

निसार मिशन की खास बातें

*निसार मिशन 5 साल काम करेगा। यह उपग्रह 747कि०मी० गकी ऊंचाई पर रहेगा और धरती के चक्कर लगाएगा।

*निसार उपग्रह का वजन 2393 कि०ग्रा० है। इसमें डुअल फ्रीक्वेंसी (एल और एस बैंड) सिंथेटिक अपर्चर रडार (सार) है। एल बैंड सार नासा का और एस -बैंड सार इसरो का है।

*इसरो उपग्रह की कमांडिंग और संचालन के लिए जिम्मेदार है। वहीं, नासा उपग्रह को कक्षा में बनाए रखने, उसके काम करने और उसके रडार के काम करने की जिम्मेदारी उठाएगा।

*निसार मिशन से मिली तस्वीरें इसरो और नासा दोनों के ग्राउंड स्टेशन पर डाउनलोड होंगी। जरूरी प्रोसेसिंग के बाद इसे यूजर को दिया जाएगा।

*एस-बैंड और एल-बैंड एसएआर के माध्यम से मिलने वाली तस्वीरों से वैज्ञानिकों को धरती पर हो रहे बदलाव समझने में मदद मिलेगी।

*निसार मिशन से पता चलेगा कि धरती पर कहां कितना जंगल है। इसमें किस तरह के बदलाव आ रहे हैं। किस जगह कौन सी फसल उगाई जा रही है। इसमें कैसे बदलाव आ रहे हैं। पानी से भरी जमीन में किस तरह बदलाव हो रहे हैं। ग्रीनलैंड और अंटार्कटिका में बर्फ कितनी है। समुद्र में कितनी बर्फ है। ग्लेशियरों की क्या स्थिति है। भूकंप, ज्वालामुखी और भूस्खलन संबंधी जानकारी मिलेगी।

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