November 1, 2025

judicial process becomes a punishment for the litigants. With this, Chief Justice DY Chandrachud compromises with the legal rights at a lower price.

दिल्ली, मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने विशेष लोक अदालत के स्मरणोत्सव समारोह को संबोधित किया। उन्होंने लोक अदालतों के महत्व और उद्देश्यों पर जोर डाला। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया वादियों के लिए सजा बन जाती है। इस वजह से वह अक्सर अपने कानूनी अधिकारों से भी कम कीमत पर समझौता स्वीकार करने को तैयार हो जाते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के स्थापना दिवस के 75वें साल के उपलक्ष्य में 29 जुलाई से 3 अगस्त तक लोक अदालत लगाई गई । इस दौरान आयोजित कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं पर विचार रखे, कहा कि एक टीम लीडर उतना ही बेहतर हो सकता है, जितनी उनकी टीम। पूरी टीम के सहयोग के बिना ये संभव नहीं है। ‘सुप्रीम कोर्ट दिल्ली का ही नहीं है, ये पूरे देश का सुप्रीम कोर्ट है। लोक अदालत में मामलों के निपटारे के लिए हमने हर पैनल में दो जज, दो मेंबर बार के रखे। मकसद था कि वकीलों का भी उचित प्रतिनिधित्व रहे. इस दौरान जजों और वकीलों को एक दूसरे को समझने का मौका मिला. राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने पिछले साल 8.1 करोड़ मुकदमों का निपटारा किया है।

‘ सुप्रीम कोर्ट की स्थापना का मकसद था कि समाज में सबसे पीछे खड़ी जनता तक न्याय सुलभ हो सके. सुप्रीम कोर्ट की स्थापना के पीछे आइडिया ये नहीं था कि कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की तर्ज पर हम 180 सांवैधानिक मामलों का ही निपटारा करें। बल्कि इसकी स्थापना का मकसद लोगों तक न्याय की पहुंच सुनिश्चित करना यानी ‘न्याय सबके द्वार’ के सिद्धांत को साकार करना था।

कई बार लोग कानूनी प्रकिया से इतने परेशान हो जाते हैं कि किसी भी तरह का सेटलमेंट करके बस कोर्ट से दूर जाना चाहते हैं. ये चिंता का विषय है. लोक अदालतों का मकसद है कि लोगों को इस बात का आभास हो कि जज उनकी जिंदगी से जुड़े हैं. हम भले ही न्यायपालिका के शीर्ष पर हों पर हम लोगों की जिंदगी से जुड़े हैं. लोगों को लगता होगा कि जज शाम 4 बजे के बाद कामबंद कर देते हैं पर ऐसा नहीं है. वे अगले दिन के लिए सूचीबद्ध मामलों की फाइलें पढ़ते हैं. वीकेंड पर जज आराम न लेकर यात्रा कर रहे होते हैं, ताकि समाज तक पहुंच सकें।

इस कार्यक्रम के दौरान समारोह मे कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि, चीफ जस्टिस साहब ने मुझे बताया कि इन लोक अदालतों में 1000 से ज्यादा मामले सेटल हुए हैं. यानी कुछ बात तो है सुप्रीम कोर्ट में कि हस्ती मिटती नहीं हमारी इस काम को करने के लिए अलग बिहेवियर होना चाहिए. दुनिया में सबसे सफल इंसान वही होता है जो टूटे को बनाना और रूठे को मनाना जानता है। किया है ने. मैं सभी को बधाई देता हूं जिन्होंने लोक अदालत के जरिए लोगों को त्वरित न्याय दिलाने में भाग लिया।

लोक अदालत में जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन के अध्यक्ष विपिन नायर भी मौजूद रहे।

The judicial process becomes a punishment for the litigants. With this, Chief Justice DY Chandrachud compromises with the legal rights at a lower price.

 

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