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14 जुलाई को राजभवन घेराव करेंगे राज्य आंदोलनकारी -Separato Spot Witness Times
राज्य समाचार

14 जुलाई को राजभवन घेराव करेंगे राज्य आंदोलनकारी

 

बीते कई वर्षों से प्रदेश के राज्य आंदोलनकारी अपनी मांगों को लेकर लामबंद हैं

S BT NEWS
देहरादून। राज्य आंदोलनकारियों ने उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के बैनर तले शहीद स्मारक में एक बैठक का आयोजन किया। जिसमें आंदोलनकारियों ने सरकार के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर रणनीति तैयार की। जिसके तहत राज्य आंदोलनकारियों ने आगामी 14 जुलाई को राजभवन घेराव का निर्णय लिया है।

बीते कई वर्षों से प्रदेश के राज्य आंदोलनकारी अपनी मांगों को लेकर लामबंद हैं। राज्य आंदोलनकारी सरकार पर अपनी उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं। इस संबंध में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच के जिलाध्यक्ष प्रदीप कुकरेती का कहना है कि उत्तराखंड की भाजपा सरकार राज्य के आंदोलनकारियों की लगातार उपेक्षा कर रही है।

14 जुलाई को राजभवन घेराव करेंगे राज्य आंदोलनकारी.उन्होंने कहा कि यहां केवल मुख्यमंत्री बदले जा रहे हैं, लेकिन राज्य निर्माण में अपनी भूमिका निभाने वाले राज्य आंदोलनकारियों के कल्याण की कोई बात नहीं की जा रही है। जिन लोगों ने लाठी खाने और खून बहाने के बाद इस राज्य की परिकल्पना की, आज सरकार और शासन उनकी नौकरी लेने पर आमादा हैं।

प्रदीप कुकरेती का कहना है कि चिन्हीकरण के मसले बीते कई सालों से लंबित हैं, लेकिन सरकार आंदोलनकारियों को सम्मान देने के बजाय उन्हें अपमानित कर रही है। इसलिए मजबूरन उन्हें फिर अपनी मांगों को लेकर आंदोलन करने पर विवश होना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल द्वारा आंदोलनकारियों की अनदेखी की जा रही है, क्योंकि वहां राज्य आंदोलनकारियों से संबंधित एक्ट लंबित पड़ा हुआ है।

उन्होंने कहा कि इसके विरोध में आगामी 14 तारीख को राजभवन मार्च किया जाएगा। इसके साथ ही 8 अगस्त को सभी आंदोलनकारी अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री आवास घेराव करेंगे। वहीं, बैठक में शामिल चिन्हित राज्य आंदोलनकारी सहयोग समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने भी सरकार पर राज्य आंदोलनकारियों की अनदेखी किए जाने का आरोप लगाया है।

उन्होंने कहा कि भाजपा के शासनकाल में त्रिवेंद्र रावत, तीरथ सिंह रावत ने राज्य आंदोलनकारियों की उपेक्षा की है। उन्होंने कहा कि भाजपा प्रदेश में सिर्फ मुख्यमंत्री बदलने पर ध्यान दे रही है, जबकि राज्य आंदोलनकारियों की मांगों से उन्हें कोई सरोकार नहीं है।

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