न्यायाधीश जी.आर. स्वामीनाथन ने मंदिर में दिया जलाने की की थी अनुमति: विपक्षी सांसदों ने न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग लाने की मांग उठाई,
Delhi 10 December 2025,
मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै बेंच के न्यायाधीश जी.आर. स्वामीनाथन ने एक आदेश दिया जिसके बाद राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। कुछ राजनीतिक दलों के करीब 100 सासंदों ने न्यायधीश स्वामीनाथन के खिलाफ ‘महाभियोग’ लाने की माँग उठाई है। जबकि कुछ का मानना है कि यह संवैधानिक रूप से संभव नहीं है।
तमिलनाडु के एक पहाड़ी क्षेत्र में सालों पहले एक टीले पर एक छोटी दरगाह जैसी संरचना बनी थी। कालांतर में यह छोटा ढाँचा बड़ा होता गया और अब उसके आसपास बड़ा क्षेत्र ‘धार्मिक कब्ज़े’ के दायरे में आ गया है। कार्तिक माह में तमिल परंपरा के आधार घरों और मंदिरों में दिए जलाए जाते हैं। इसी क्रम में स्थानीय हिंदू समुदाय ने मंदिर की भूमि पर दिया जलाने की प्रशासन से अनुमति माँगी, लेकिन प्रशासन ने कहा कि ऐसा करने से ‘सांप्रदायिक सद्भाव’ गंभीर रूप स प्रभावित हो सकता है, क्योंकि यह जगह दरगाह के पास पड़ता है। अब इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई।
न्यायाधीश स्वामीनाथन ने इस मामले में अपने आदेश में कहा कि इस विवादित भूमि को, स्थानीय रिकॉर्ड में मंदिर की भूमि बताया गया था। आरोप के आधार पर सिर्फ टीले का ऊपरी भाग और उसकी सीढ़ियाँ ही दरगाह की भूमि के रूप में चिन्हित हैं। बाकी पूरी पहाड़ी मंदिर की संपत्ति है। मंदिर की अपनी भूमि पर दिया जलाने से प्रशासन रोक नहीं सकता, क्योंकि यह धार्मिक अधिकारों का उल्लंघन है। अदालत ने साफ़ शब्दों में कहा कि अगर किसी स्थान का स्वामित्व मंदिर के पास दर्ज है, तो उस पर धार्मिक गतिविधियाँ उसी समुदाय के अधिकार क्षेत्र में आती हैं।
जैसे ही आदेश आया, राज्य की सत्ताधारी पार्टी के नेताओं ने इसे लेकर कड़ी प्रतिक्रिया देना शरू कर दी। टी.आर. बालू समेत कई नेताओं ने संसद में बयान दिया कि जस्टिस स्वामीनाथन सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने वाले आदेश दे रहे हैं। इसके बाद उनके खिलाफ महाभियोग लाने की मांग शुरू हो गई। न्यायाधीश स्वामीनाथन के आदेश ने एक और बड़े सवाल को जन्म दिया है – क्या न्यायपालिका के फैसलों को राजनीतिक नजरिए से देखा जा रहा है?
न्यायाधीश स्वामीनाथन के आदेश पर कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि अदालत ने सिर्फ भूमि रिकॉर्ड और धार्मिक अधिकारों के आधार पर आदेश दिया है। अगर कोई पक्ष असंतुष्ट है, तो इसका समाधान अपील में है, न कि महाभियोग में। वहीं इस मामले को लेकर कोर्ट का तर्क है कि मंदिर की भूमि पर दिया जलाना उस समुदाय का मूल अधिकार है और प्रशासन उसे ‘संभावित तनाव’ का हवाला देकर नहीं रोक सकता है।
