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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘दूध गंगा- वैलीज डाइंग लाइफलाइन’ को प्रथम पुरस्कार के लिए चुना। - Separato Spot Witness Times
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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने डॉक्यूमेंट्री फिल्म ‘दूध गंगा- वैलीज डाइंग लाइफलाइन’ को प्रथम पुरस्कार के लिए चुना।

दिल्ली , देश के राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 2024 में मानवाधिकारों पर लघु फिल्मों के लिए अपनी दसवीं प्रतिष्ठित वार्षिक प्रतियोगिता के विजेताओं की घोषणा की है। प्रथम पुरस्कार (दो लाख रुपए) के लिए ‘दूध गंगा-वैलीज डाइंग लाइफलाइन’ को दिया जाएगा। जम्मू एवं कश्मीर के इंजीनियर अब्दुल रशीद भट की इस डॉक्यूमेंट्री फिल्म में इस बात पर चिंता जताई गई है कि किस तरह दूध गंगा नदी के स्वच्छ जल में विभिन्न अपशिष्टों के मुक्त प्रवाह ने इसे प्रदूषित किया है। फिल्म में घाटी के लोगों के भले के लिए दूध गंगा नदी के जीर्णोद्धार की जरूरत पर भी जोर दिया गया है। यह फिल्म अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू में है और इसके उपशीर्षक अंग्रेजी में हैं।

आंध्र प्रदेश के कदारप्पा राजू की फिल्म ‘फाइट फॉर राइट्स’ को द्वितीय पुरस्कार (1.5 लाख रुपये) के लिए चुना गया है। यह फिल्म बाल विवाह और शिक्षा के मुद्दे पर चर्चा करती है। यह फिल्म तेलुगु भाषा में है और इसके उपशीर्षक अंग्रेजी में हैं।

तमिलनाडु के आर. रविचंद्रन की फिल्म ‘गॉड’ (एक लाख रुपये) के लिए चुना गया है। इस मूक फिल्म में एक बूढ़े नायक के माध्यम से पेयजल की अहमियत को दर्शाया गया है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने ‘विशेष उल्लेख प्रमाणपत्र’ के लिए चुनी गई चार लघु फिल्मों में से प्रत्येक को 50,000/- रुपये का नकद पुरस्कार देने का भी निर्णय लिया है। ये फिल्में हैं। 1 ‘अक्षराभ्यासम’ तेलंगाना के हनीश उंद्रमातला की बनाई फिल्म है। यह मूक फिल्म बाल शिक्षा के महत्व को दर्शाती है। 2 ‘विलायिला पट्टाथारी (एक सस्ता स्नातक)’ तमिलनाडु के आर. सेल्वम की बनाई फिल्म है। यह फिल्म तमिल भाषा में है और इसके टाइटल अंग्रेजी में हैं। फिल्म में वृद्ध लोगों से संबंधित मुद्दों और अधिकारों पर प्रकाश डाला गया है। 3. ‘लाइफ ऑफ सीथा’ आंध्र प्रदेश के श्री मदका वेंकट सत्यनारायण की बनाई फिल्म है। यह तेलुगु में है और इसके उपशीर्षक अंग्रेजी में हैं। फिल्म में धार्मिक प्रथाओं की वजह से बाल अधिकारों के उल्लंघन और हालात में सुधार की जरूरत प्रकाश डाला गया है। 4. ‘बी अ ह्यूमैन’ को आंध्र प्रदेश के लोटला नवीन ने बनाई है। अंग्रेजी में टाइटल के साथ हिंदी में बनाई गई यह फिल्म घरेलू हिंसा, महिलाओं पर हमला, बालिकाओं को छोड़ने और सामाजिक हस्तक्षेप से जुड़े मुद्दों पर प्रकाश डालती है।

पूर्ण आयोग जूरी की अध्यक्षता एनएचआरसी अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यम ने की। इस जूरी में सदस्य न्यायमूर्ति (डॉ) विद्युत रंजन सारंगी, विजया भारती सयानी, महासचिव भरत लाल, महानिदेशक (आई) आर प्रसाद मीणा, और रजिस्ट्रार (कानून) जोगिंदर सिंह शामिल हैं।

‌वर्ष 2015 से शुरू एनएचआरसी लघु फिल्म पुरस्कार योजना का उद्देश्य मानवाधिकारों के संवर्धन और संरक्षण के लिए नागरिकों के सिनेमाई और रचनात्मक प्रयासों को प्रोत्साहित करना है। वर्ष 2024 में इस प्रतियोगिता के दसवें संस्करण के लिए, निर्धारित समय के भीतर देश के विभिन्न भागों से विभिन्न भारतीय भाषाओं में प्राप्त कुल रिकॉर्ड 303 लघु फिल्मों की जांच के बाद पुरस्कारों के लिए 243 कृतियां दौड़ में थीं। पुरस्कार वितरण समारोह बाद में आयोजित किया जाएगा।

 

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