दिल्ली: 16 दिसंबर को लोकसभा में यूनियन टेरेटरीज संशोधन बिल 2024 और संविधान संशोधन बिल-100 और 29 के तहत ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ के पेश होने की संभावना नहीं है । ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक को 16 दिसंबर सोमवार की लोकसभा की संशोधित कार्य सूची में शामिल नहीं किया गया है । जबकि पहले इसे सूचीबद्ध किया गया था।
केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ को देश के हित में बताया है। इससे देश को और मजबूती मिलेगी और विकास में कोई रुकावट नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि इससे चुनावों के खर्चों में कमी आएगी और पैसे की बचत होगी। गिरिराज सिंह ने यह भी बताया कि 1967 तक देश में ‘एक देश, एक चुनाव’ ही हो रहा था।
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इससे चुनाव खर्च कम हो जाएगा।
वन नेशन, वन इलेक्शन’ के मुद्दे पर कुछ विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने इसे देश के संघीय ढांचे पर प्रहार बताया।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि इतनी बड़ी रिपोर्ट को अब तक पढ़ा नहीं गया है, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह मौका मिल सकता है कि वह राज्यों और केंद्र की सरकारों को भंग कर दें और दोबारा चुनाव कराए।
टीएमसी के सांसद कीर्ति आजाद ने कहा, “वन नेशन वन इलेक्शन के पीछे सरकार की मंशा पर सवाल उठता है। यह संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। विपक्ष से चर्चा किए बिना इसे लागू करने की कोशिश तानाशाही है।