प्रदेश की ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की पुनर्नियुक्ति के लिए अध्यादेश राजभवन में लटक गया है। जिससे पहली बार 7478 ग्राम पंचायतें बुधवार को पूरे दिन खाली रही। निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों के मुताबिक ग्राम पंचायतें संवैधानिक संस्थाएं हैं, जिन्हें एक मिनट भी खाली नहीं रखा जा सकता।
प्रदेश में हरिद्वार जिले को छोड़कर अन्य सभी ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पिछले साल 27 नवंबर को खत्म हो गया। शासन ने आदेश जारी कर नई ग्राम पंचायतों के गठन या छह महीने तक के लिए जो भी पहले हो इनमें प्रशासकों की नियुक्ति का आदेश किया था। शासन ने निवर्तमान ग्राम प्रधानों को ही प्रशासक बनाया था।
शासन के इस आदेश के बाद 27 मई को ग्राम पंचायतों में प्रशासकों का कार्यकाल खत्म हो चुका है, लेकिन शासन की लेटलतीफी के चलते अब तक न नई ग्राम पंचायतों का गठन किया जा सका है न ही पंचायतों में प्रशासकों की पुनर्नियुक्ति की गई।
ऐसा पहली बार हुआ है, जब पंचायतों में न जनता का चुना प्रतिनिधि है न ही कोई प्रशासक है। दोनों में से कोई न होने से प्रदेश की पंचायतों में सामान्य गतिविधियां पूरे दिन ठप रही। जगत मार्तोलिया, संयोजक पंचायत संगठन
पंचायतों में प्रशासकों की पुनर्नियुक्ति के लिए प्रस्ताव को राजभवन से अभी मंजूरी नहीं मिली। विभाग को इसकी स्वीकृति का इंतजार है।
– चंद्रेश कुमार यादव, सचिव पंचायती राज
 
		