देहरादून 16 अगस्त 2023,
दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर सिटी बस संचालन हेतु एक नई योजना “पीएम-ईबस सेवा” को मंजूरी दे दी है। जिसके माध्यम से 10 हजार ई-बसें चलाई जाएंगी। इस योजना की अनुमानित लागत 57.62 हजार करोड़ रुपये होगी। जिसमें से 20 हजार करोड़ रुपये केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किया जाएगा। इस योजना से 45 हजार से अधिक प्रत्यक्ष रोजगार मिलने की उम्मीद जताई गई है। “पीएम-ईबस सेवा” प्रोजेक्ट की समयावधि केवल 10 वर्षों तक निश्चित की गई है।
“पीएम-ईबस सेवा” 2011 की जनगणना के अनुसार तीन लाख और उससे अधिक आबादी वाले शहरों में संचालित की जाएगी। जिसमें केंद्रशासित प्रदेशों, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और पर्वतीय राज्यों की सभी राजधानी शामिल हैं। इस योजना के तहत उन शहरों को प्राथमिकता दी जाएगी, जहां कोई सुव्यवस्थित बस सेवा उपलब्ध नहीं है। योजना को खंड-ए और खंड-बी दो भागों में बांटा गया है। खंड-ए के अनुसार सिटी बस सेवाओं का विस्तार 169 शहरों में किया जाएगा। स्वीकृत बस योजना के माध्यम से पीपीपी मोड पर 10 हजार ई-बसों के साथ सिटी बस संचालन का विस्तार किया जाएगा। इससे जुड़ी बुनियादी संरचना से डिपो इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास/उन्नयन के लिए सहायता मिलेगी; और ई-बसों के लिए बिहाइंड द मीटर विद्युत इन्फ्रास्ट्रक्चर (सबस्टेशन, आदि) का निर्माण संभव होगा।
खंड बी- ग्रीन अर्बन मोबिलिटी पहल (जीयूएमआई) 181 शहरों में शुरू होगा। इस योजना में बस की प्राथमिकता, बुनियादी सुविधा, मल्टीमॉडल इंटरचेंज सुविधाएं, एनसीएमसी-आधारित स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली, चार्जिंग हेतु बुनियादी सुविधाएं आदि जैसी हरित पहल की परिकल्पना की गई है।
ई-मोबिलिटी को बढ़ावा:-
यह योजना ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देगी और बिहाइंड द मीटर इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए पूर्ण सहायता प्रदान करेगी।शहरों को ग्रीन अर्बन मोबिलिटी पहल के तहत चार्जिंग सुविधाओं के विकास के लिए भी समर्थन दिया जाएगा।बस की प्राथमिकता वाले बुनियादी सुविधाओं के समर्थन से न केवल अत्याधुनिक, ऊर्जा कुशल इलेक्ट्रिक बसों के प्रसार में तेजी आएगी, बल्कि ई-मोबिलिटी क्षेत्र में नवाचार के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए सशक्त आपूर्ति श्रृंखला के विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। इस योजना में ई-बसों का समूह तैयार करने को लेकर इलेक्ट्रिक बसों की खरीद के लिए व्यापक तौर पर अर्थव्यवस्था को भी अनुकूल बनाने की जरूरत होगी। इलेक्ट्रिक मोबिलिटी अपनाने से ध्वनि और वायु प्रदूषण कम होगा और कार्बन उत्सर्जन पर अंकुश लगेगा। बस-आधारित सार्वजनिक परिवहन की हिस्सेदारी बढ़ने के कारण जो बदलाव आएगा, उससे ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी आएगी।
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