Delhi, 01 SEP 2025 ,
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 31 अगस्त से 1 सितम्बर 2025 तक चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद की 25वीं बैठक में भाग लिया। शिखर सम्मेलन में एससीओ के विकास रणनीति, वैश्विक शासन में सुधार, आतंकवाद-निरोध, शांति और सुरक्षा, आर्थिक और वित्तीय सहयोग तथा स्थायी विकास पर उपयोगी चर्चा हुई।
शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने एससीओ ढांचे के अंतर्गत सहयोग को मज़बूत करने के भारत के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाला। इस संबंध में, उन्होंने कहा कि भारत तीन स्तंभों – सुरक्षा, संपर्क और अवसर – के तहत व्यापक कार्य करना चाहता है। शांति, सुरक्षा और स्थिरता को प्रगति और समृद्धि की कुंजी बताते हुए, उन्होंने सदस्य देशों से आतंकवाद के सभी रूपों से लड़ने के लिए दृढ़ और निर्णायक कार्रवाई करने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के वित्तपोषण और कट्टरपंथ के खिलाफ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता पर बल दिया। पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद सदस्य देशों की मज़बूत एकजुटता के लिए धन्यवाद देते हुए, उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि आतंकवाद से निपटने में कोई दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए और समूह से आग्रह किया कि वह सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने और उसका समर्थन करने वाले देशों को जवाबदेह ठहराएं।
विकास को बढ़ावा देने और विश्वास निर्माण में कनेक्टिविटी की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत चाबहार बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे जैसी परियोजनाओं का पुरज़ोर समर्थन करता है। उन्होंने स्टार्ट-अप, नवाचार, युवा सशक्तिकरण और साझा विरासत के क्षेत्रों में अवसरों की भी चर्चा की, जिन्हें एससीओ के अंतर्गत आगे बढ़ाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने लोगों के बीच बेहतर संबंधों और सांस्कृतिक समझ को बढ़ावा देने के लिए समूह के भीतर एक सभ्यतागत संवाद मंच शुरू करने का प्रस्ताव रखा।
प्रधानमंत्री ने समूह के सुधारोन्मुखी एजेंडे के प्रति समर्थन व्यक्त किया। इस संबंध में, उन्होंने संगठित अपराध, मादक पदार्थों की तस्करी और साइबर सुरक्षा से निपटने के लिए केन्द्रों की स्थापना का स्वागत किया। उन्होंने समूह से संयुक्त राष्ट्र सहित बहुपक्षीय संस्थाओं में सुधार के लिए भी इसी तरह का दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया।
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति पुतिन की मुलाकात हुई। राष्ट्रपति पुतिन का भारत आने का कार्यक्रम प्रस्तावित है। इसी संदर्भ में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से वार्तालाप करते हुए कहा कि, हम लगातार संपर्क में रहे हैं। दोनों पक्षों के बीच नियमित रूप से कई उच्च स्तरीय बैठकें भी हुई है। इस वर्ष दिसंबर में हमारी 23वीं समिट के लिए 140 करोड़ भारतीय उत्सुकतापूर्वक आपका इंतजार कर रहे हैं।
श्री मोदी ने कहा, यह हमारी स्पेशल एंड प्रिविलेज स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप की गहराई है, और व्यापकता का परिचायक है। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी भारत और रूस हमेशा कंधे से कंधा मिलाकर चले हैं। हमारा करीबी सहयोग ना केवल दोनों देशों के लोगों के लिए, बल्कि वैश्विक शांति, स्थिरता, और समृद्धि के लिए महत्वपूर्ण है। रूस-यूक्रेन में चल रहे संघर्ष के विषय में हम लगातार चर्चा करते रहे हैं। हाल में किए गए शांति के सभी प्रयासों का हम स्वागत करते हैं। हम आशा करते हैं कि सभी पक्ष कंस्ट्रक्टिवली आगे बढ़ेंगे। संघर्ष को जल्द से जल्द खत्म करने और स्थाई शांति स्थापित करने का रास्ता खोजना होगा। यह पूरी मानवता की पुकार है।