दिल्ली , प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने थाईलैंड और श्रीलंका की यात्रा पर भारत से रवाना हुए। पहले थाईलैंड में आयोजित होने वाले छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में शामिल होंगे। इस सम्मेलन में थाईलैंड, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार और भूटान के नेता शिरकत करेंगे। इसके बाद 4 से 6 अप्रैल तक श्रीलंका की दो दिवसीय यात्रा पर रहेंगे।
विदेश रवाना होने से पहले श्री मोदी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा,मैं प्रधानमंत्री पैतोंगतार्न शिनावात्रा के निमंत्रण पर थाईलैंड की आधिकारिक यात्रा और छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आज रवाना हो रहा हूँ। पिछले दशक में, बिम्सटेक बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में क्षेत्रीय विकास, संपर्क और आर्थिक प्रगति को प्रोत्साहन देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है। अपनी भौगोलिक स्थिति के साथ, भारत का पूर्वोत्तर क्षेत्र बिम्सटेक के केंद्र में है। थाई नेतृत्व के साथ बातचीत करने से हमारे सदियों पुराने ऐतिहासिक संबंधों को प्रगाढ़ता मिलेगी। जो साझा संस्कृति, दर्शन और आध्यात्मिक विचारों की मजबूत नींव पर आधारित हैं।
प्रधानमंत्री ने बताया कि, थाईलैंड की यात्रा के पश्चात, मैं 04-06 अप्रैल तक श्रीलंका की दो दिवसीय यात्रा पर जाऊँगा। यह पिछले दिसंबर में राष्ट्रपति दिसानायका की भारत की अत्यधिक सफल यात्रा के बाद है। हमें “साझा भविष्य के लिए साझेदारी को प्रोत्साहन देने” के संयुक्त दृष्टिकोण पर हुई प्रगति की समीक्षा करने और हमारे साझा उद्देश्यों को साकार करने के लिए आगे मार्गदर्शन प्रदान करने का अवसर मिलेगा। श्री मोदी ने विश्वास जताया कि, ये यात्राएँ अतीत की नींव पर बनेंगी और हमारे लोगों और व्यापक क्षेत्र के लाभ के लिए हमारे घनिष्ठ संबंधों को मजबूत करने में योगदान देगी।
भारत से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आज छठे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए दो दिवसीय यात्रा पर थाईलैंड पहुंचे। थाईलैंड की धरती पर पीएम का भव्यता से स्वागत किया गया है। यहां थाईलैंड के प्रधानमंत्री शिन्नावात के साथ संयुक्त प्रेस वक्तव्य दिया।
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, भारत और थाईलैंड के सदियों पुराने संबंध हमारे गहरे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक सूत्रों से जुड़े हैं। बौद्ध धर्म के प्रसार ने हमारे जन-जन को जोड़ा है। अयुत्थया से नालंदा तक विद्वानों का आदान-प्रदान हुआ है। रामायण की कथा थाई लोक-जीवन में रची-बसी है। और, संस्कृत-पाली के प्रभाव आज भी भाषाओं और परंपराओं में झलकते हैं।
भारत की ‘एक्ट ईस्ट ’ पॉलिसी और हमारे इंडो पेसिफिक विजन में थाईलैंड का विशेष स्थान है। आज हमने अपने संबंधों को स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का रूप देने का निर्णय लिया है। सुरक्षा एजेंसियों के बीच ‘स्ट्रैटेजिक डायलॉग’ स्थापित किया गया है।
साइबर क्राइम में फंसे भारतीयों को वापस भारत वापस भेजने में थाईलैंड सरकार से मिले सहयोग के लिए, हमने थाईलैंड सरकार का आभार प्रकट किया। हम सहमत हैं कि हमारी एजेंसी ह्यूमन ट्रैफिकिंग और अवैध माइग्रेशन के खिलाफ एकजुट होकर काम करेंगे। हमने भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों और थाईलैंड के बीच टूरिज्म कलर एजुकेशन क्षेत्रों में सहयोग पर बल दिया है। आपसी व्यापार, निवेश और व्यापार के बीच आदान प्रदान बढ़ाने पर हमने बात की। एमएसएमई हैंडलूम और हैंडीक्राफ्ट में भी सहयोग के लिए समझौते किए गए हैं।
थाईलैंड सरकार ने इस अवसर पर 18वी शताब्दी की ‘रामायण’ म्यूरल पेंटिंग्स पर आधारित एक विशेष डाक-टिकट जारी किया गया।