दिल्ली , प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ के सफल समापन पर लोकसभा को संबोधित किया। उन्होंने सरकार, समाज और इसमें शामिल सभी समर्पित कार्यकर्ताओं के प्रयासों की सराहना की। देशभर के श्रद्धालुओं, विशेषकर उत्तर प्रदेश के लोगों और प्रयागराज के नागरिकों का उनके अमूल्य समर्थन और भागीदारी के लिए विशेष उल्लेख करते हुए आभार व्यक्त किया। श्री मोदी ने महाकुंभ के भव्य आयोजन के लिए लोगों के अथक प्रयासों की तुलना गंगा को धरती पर लाने के पौराणिक भागीरथ से की है। उन्होंने कहा कि महाकुंभ ने दुनिया को भारत की भव्यता दिखाई। कहा, “महाकुंभ लोगों के अटूट विश्वास से प्रेरित सामूहिक संकल्प, भक्ति और समर्पण की अभिव्यक्ति है।
प्रधानमंत्री ने पिछले वर्ष अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह और इस वर्ष महाकुंभ के बीच समानता दर्शाते हुए कहा कि ये आयोजन अगली सहस्राब्दी के लिए राष्ट्र की तत्परता को सुदृढ़ करते हैं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्र की सामूहिक चेतना इसकी अपार क्षमता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि मानव इतिहास की तरह ही राष्ट्र के इतिहास में महत्वपूर्ण क्षण आने वाली पीढ़ियों के लिए उदाहरण के रूप में काम करते हैं। श्री मोदी ने स्वदेशी आंदोलन के दौरान आध्यात्मिक पुनरुत्थान, शिकागो में स्वामी विवेकानंद के जोरदार भाषण और भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण क्षणों जैसे 1857 के विद्रोह, भगत सिंह की शहादत, नेताजी सुभाष चंद्र बोस के “दिल्ली चलो” आह्वान और महात्मा गांधी की दांडी यात्रा का हवाला देते हुए भारत के ऐतिहासिक मील के पत्थरों पर विचार किया, जिन्होंने राष्ट्र को जागृत किया और नई दिशा प्रदान की। उन्होंने कहा, “प्रयागराज महाकुंभ भी इसी तरह का एक मील का पत्थर है, जो राष्ट्र की जागृत भावना का प्रतीक है।”
मोदी ने कहा, “जब कोई समाज अपनी विरासत पर गर्व करता है, तो वह भव्य और प्रेरक क्षण बनाता है जैसा कि महाकुंभ के दौरान देखा गया।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह का गर्व एकता को बढ़ावा देता है और महत्वपूर्ण राष्ट्रीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आत्मविश्वास को मजबूत करता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि परंपराओं, आस्था और विरासत से जुड़ाव समकालीन भारत के लिए एक मूल्यवान संपत्ति है, जो देश की सामूहिक ताकत और सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है। उन्होंने महाकुंभ से प्रेरित होकर नदी उत्सवों की परंपरा का विस्तार करने की आवश्यकता पर बल दिया, साथ ही कहा कि ऐसी पहलों से वर्तमान पीढ़ी को पानी के महत्व को समझने, नदी की स्वच्छता को बढ़ावा देने और नदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण के अंत में विश्वास व्यक्त किया कि महाकुंभ से प्राप्त प्रेरणाएं राष्ट्र के संकल्पों को प्राप्त करने के लिए एक सशक्त माध्यम बनेंगी। उन्होंने महाकुंभ के आयोजन में शामिल प्रत्येक व्यक्ति की सराहना की तथा देशभर के सभी श्रद्धालुओं को नमन किया और सदन की ओर से शुभकामनाएं दीं।
वहीं लोकसभा में प्रतिपक्षनेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंगलवार को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ के सफल समापन पर लोकसभा में दिए वक्तव्य पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। राहुल गांधी ने मीडिया को संबोधित बयान में कहा, कुंभ हमारी परंपरा है, इतिहास है, संस्कृति है।
हमें एक शिकायत है कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुंभ में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि नहीं दी। कुंभ में जाने वाले युवाओं को प्रधानमंत्री से रोजगार भी चाहिए, प्रधानमंत्री को संसद में रोजगार के बारे में भी बोलना चाहिए था।
प्रतिपक्ष नेता ने ने सदन की कार्यवाही पर सवाल उठाते हुए कहा, प्रधानमंत्री जी के बोलने के बाद लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत नेता विपक्ष को बोलने की इजाजत देनी चाहिए थी, जो नहीं दी गई। ये ‘न्यू इंडिया’ है।