दिल्ली , मन की बात की 120वीं कड़ी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने सम्बोधन की शुरुआत में कहा, आज बहुत पावन दिन पर मुझे आपसे ‘मन की बात’ करने का अवसर मिला है। आज चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। आज से चैत्र नवरात्र ( बासंतिक) की शुरुआत हो रही है। अगल-अलग भाषाओं में लोगों ने शुभकामनाएं भेजी हैं।
परीक्षाओं पर चर्चा करते हुए उन्होंने बच्चों से आग्रह किया, अगर कोई संगठन, कोई स्कूल या सामाजिक संस्थाएं, या तो फिर साइंस सेंटर ऐसी समर एक्टिविटीज करवा रहे हों, तो इसे माय हॉलिडेज के साथ जरूर शेयर करें। इससे देश-भर के बच्चे और उनके माता-पिता को इनके बारे में आसानी से जानकारी मिल सकेगी।
जल संरक्षण के महत्व को समझाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा , मेरे प्यारे देशवासियो, गर्मी का मौसम शुरू होते ही शहर-शहर, गांव-गांव, पानी बचाने की तैयारियां भी शुरू हो जाती हैं। अनेक राज्यों में वाटर हार्वेस्टिंग से जुड़े कामों ने, जल संरक्षण से जुड़े कामों ने नई तेजी पकड़ी है। जलशक्ति मंत्रालय और अलग-अलग स्वयंसेवी संस्थाएं इस दिशा में काम कर रही हैं। देश में हजारों कृत्रिम तालाब, चेक डैम बोरवेल रिचार्ज कम्युनिटी शॉक पिट का निर्माण हो रहा है। हर साल की तरह इस बार भी ‘ कैच द रेन ‘ अभियान के लिए कमर कस ली गई है। ये अभियान भी सरकार का नहीं बल्कि समाज का है, जनता-जनार्दन का है। जल संरक्षण से ज्यादा-से-ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए जल संचय जन-भागीदारी अभियान भी चलाया जा रहा है। प्रयास यही है कि जो प्राकृतिक संसाधन हमें मिले हैं, उसे हमें अगली पीढ़ी तक सही सलामत पहुंचाना है।
श्री मोदी ने फिट रहना और फिटनेस का भी संदेश दिया। साथियो, दिल्ली में एक और भव्य आयोजन ने लोगों को बहुत प्रेरणा दी है, जोश से भर दिया है। एक इनोवेटिव आइडिया के रूप में पहली बार फिट इंडिया कार्निवल का आयोजन किया गया। इसमें अलग-अलग क्षेत्रों के करीब 25 हजार लोगों ने हिस्सा लिया। इन सभी का एक ही लक्ष्य था – फिट रहना और फिटनेस को लेकर जागरूकता फैलाना। इस आयोजन में शामिल लोगों को उनके स्वास्थ्य के साथ-साथ पोषण से जुड़ी जानकारियाँ भी मिलीं। मेरा आग्रह है कि आप अपने क्षेत्रों में भी इस तरह के कार्निवल का आयोजन करें। इस पहल में माय-भारत आपके लिए बहुत मददगार बन सकता है।
इस बार ‘मन की बात’ में, प्रधानमंत्री मोदी ने टेक्सटाइल वेस्ट को बड़ी चुनौती बताया। टेक्सटाइल वेस्ट पूरी दुनिया के लिए नई चिंता की एक बड़ी वजह बन गया है। एक रिसर्च में यह सामने आया है, सिर्फ एक प्रतिशत से भी कम टेक्सटाइल वेस्ट को रिसायकल किया जाता है – एक प्रतिशत से भी कम! भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश है, जहां सबसे ज्यादा टेक्सटाइल वेस्ट निकलता है। यानि चुनौती हमारे सामने भी बहुत बड़ी है। लेकिन मुझे खुशी है कि हमारे देश में इस चुनौती से निपटने के लिए कई सराहनीय प्रयास किये जा रहे हैं। कई भारतीय स्टार्ट-अप्स ने टेक्सटाइल रिकवरी फैसेलिटीज पर काम शुरू किया है। कई ऐसी टीमें हैं, जो कचरा बीनने वाले हमारे भाई-बहनों के सशक्तिकरण के लिए भी काम कर रही हैं। कई युवा-साथी सस्टेनेबल फैशन के प्रयासों में जुड़े हैं। वे पुराने कपड़ों और जूते-चप्पलों को रिसायकल कर जरूरतमंदों तक पहुंचाते हैं। कई संस्थाएं आजकल ‘सर्कुलर फैशन ब्रांड को पॉपुलर बनाने में जुटी हैं। नए-नए रेंटल प्लेटफार्म भी खुल रहे हैं।
टेक्सटाइल वेस्ट से निपटने में कुछ शहर भी अपनी नई पहचान बना रहे हैं। हरियाणा का पानीपत टेक्सटाइल रिसायकल के ग्लोबल हब के रूप में उभर रहा है। बेंगलुरू भी इन्नोवेटिव टेक सॉल्यूशन से अपनी एक अलग पहचान बना रहा है। इसी प्रकार तमिलनाडु का तिरुपुर वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट और रिन्यूएबल एनर्जी के माध्यम से टेक्सटाइल वेस्ट मैनेजमेंट में जुटा हुआ है।