देहरादून 14 अगस्त 2023,
दिल्ली: भारतीय दंड संहिता, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में संशोधन के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन विधेयक प्रस्तुत किए हैं। केंद्रीय गृह मंत्री का तर्क है कि, ये तीनों कानून अंग्रेजों के शासन काल के हैं, जिन्हे बदला जाना आज के परिप्रेक्ष्य में जरुरी है ।
गृह मंत्री द्वारा लोकसभा में पेश किए गए तीनों बिलों को, संवैधानिक ढांचे के लिए खतरा बताते हुए राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भारतीय न्याय संहित बिल को लेकर मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने इन बिलों को असवैधानिक बताते हुए कहा, ‘मैं आग्रह करता हूं कि तुरंत इस कानून को वापस लिया जाए। यह बिल बहुत खतरनाक हैं। यह कानून संवैधानिक ढांचे के लिए खतरा है। यह पूरी तरह से असंवैधानिक है।’
सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि, नए कानून के मुताबिक, किसी भी अधिकारी पर कोई भी आरोप लगता है तो ऐसे में 3 साल तक की सजा का प्रावधान है। उन्होंने प्रश्न किया, किस मंशा के साथ यह कानून लाया गया है? गृह मंत्री जी आपने क्या कानून पढ़ा था? अगर कोई पुलिसकर्मी इनके खिलाफ गया तो इस कानून की वजह से पुलिस कर्मी भी जेल जाएंगे। उन्होंने कहा कि यह कानून कहता है कि अगर किसी ने गिरफ्तारी देने से मना किया तो उसको भी 2 साल कि सजा हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘सरकार कॉलोनीयल एरा के कानून खत्म तो कर रही है लेकिन अब उनसे भी डरावने कानून ला रही है। कपिल सिब्बल ने सवाल उठाया कि, आप किस लोकतंत्र की बात कर रहे हैं? यह तो फादर ऑफ़ डिक्टेटरशिप वाली बात हो गई।