October 31, 2025

सुप्रीम कोर्ट के हंसलवा जुडूम फैसले पर केन्द्रीय गृह मंत्री की टिप्पणी को सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने बताया दुर्भाग्यपूर्ण,

25 August 2025,

विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी पर वर्ष 2011 के हंसलवा जुडूम फैसले को लेकर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा की गई टिप्पणी को सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के एक संगठन ने ”दुर्भाग्यपूर्ण” बताया है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर सहित 18 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने यह भी कहा कि एक उच्च राजनीतिक पदाधिकारी द्वारा सुप्रीम कोर्ट के फैसले की ”पूर्वाग्रहपूर्ण गलत व्याख्या” से न्यायाधीशों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।

केरल में चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने भाषण में कहा था कि, विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी वही व्यक्ति हैं जिन्होंने नक्सलवाद को बढ़ावा देने वाला निर्णय दिया। शाह ने आरोप लगाया कि यदि ऐसा फैसला नहीं आता तो नक्सलवाद वर्ष 2020 तक समाप्त हो चुका होता। श्री शाह ने , बी सुदर्शन रेड्डी के फैसले को “उस विचारधारा से प्रेरित” बताया जिसने देश में नक्सलवाद को हवा दी।

न्यायाधीशों द्वारा हस्ताक्षरित बयान में कहा गया, ”सलवा जुडूम मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले की सार्वजनिक रूप से गलत व्याख्या करने वाला केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है। यह फैसला न तो स्पष्ट रूप से और न ही लिखित निहितार्थों के माध्यम से नक्सलवाद या उसकी विचारधारा का समर्थन नहीं करता है।बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ए के पटनायक, न्यायमूर्ति अभय ओका, न्यायमूर्ति गोपाल गौड़ा, न्यायमूर्ति विक्रमजीत, न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ शामिल हैं। उन्होंने कहा, किसी उच्च राजनीतिक पदाधिकारी द्वारा उच्चतम न्यायालय के किसी फैसले की पूर्वाग्रहपूर्ण गलत व्याख्या से सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और न्यायपालिका की स्वतंत्रता को नुकसान पहुंच सकता है।

उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी रेड्डी ने को कहा कि वह गृह मंत्री के साथ मुद्दों पर बहस नहीं करना चाहते। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि यह फैसला उनका नहीं, बल्कि उच्चतम न्यायालय का है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर शाह ने पूरा फैसला पढ़ा होता तो वह यह टिप्पणी नहीं करते।

 

 

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