बुलडोजर कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने दिये दिशा निर्देश:बुलडोजर कार्यवाही करने वाली सरकारों को ठहराया दोषी।
दिल्ली: विशेषतः उत्तर प्रदेश सहित देशभर में चल रहे बुलडोजर कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने आज दिशा निर्देश जारी कर दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मनमानी तरीके से बुलडोजर कार्यवाही करने वाली सरकारों को दोषी ठहराया हैं।और स्पष्ट कहा कि किसी भी सरकारी अधिकारी को मनमाने तरीके से बुलडोजर चलाने पर बक्शा नहीं जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि ‘राइट टू शेल्टर’ मौलिक अधिकार है। सरकारें जज नहीं बन सकती हैं, जो किसी आरोपी के घर पर बुलडोजर चलाने का फैसला दे दें। कोर्ट ने कहा कि घर केवल एक संपति नहीं है, वो लोगों की उम्मीद है। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 142 के तहत निर्देश जारी करते हुए बुलडोजर एक्शन को लेकर दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं:-
* ‘कारण बताओ नोटिस’ के बिना ध्वस्तीकरण नहीं किया जा सकता। अतिक्रमण कर्ता को पंजीकृत डाक के जरिए नोटिस भेजा जाएगा और संरचना के बाहर चिपकाया जाएगा।
नोटिस से 15 दिनों का समय नोटिस तामील होने के बाद का होगा।
*यदि ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किया जाता है, तो इस आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए समय दिया जाना होगा। बिना अपील के रातभर ध्वस्तीकरण के बाद महिलाओं और बच्चों को सड़कों पर देखना चिंताजनक है।
* नोटिस तामील होने के बाद कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट की ओर से सूचना भेजी जाएगी। कलेक्टर और डीएम नगरपालिका भवनों के ध्वस्तीकरण के लिए प्रभारी नोडल अधिकारी नियुक्त करेंगे।
*नोटिस में उल्लंघन की प्रकृति, व्यक्तिगत सुनवाई की तिथि और किसके समक्ष सुनवाई तय की गई है, निर्दिष्ट डिजिटल पोर्टल उपलब्ध कराया जाएगा, जहां नोटिस और उसमें पारित आदेश का विवरण उपलब्ध होगा।
*प्राधिकरण व्यक्तिगत सुनवाई करेगा और रिकॉर्ड किया जाएगा। उसके बाद अंतिम आदेश पारित किया जाएगा। इसमें ये उत्तर दिया जाना चाहिए कि क्या अवैध निर्माण समझौता योग्य है, और यदि सिर्फ एक भाग समझौता योग्य नहीं पाया जाता है और ये पता लगाना है कि विध्वंस का उद्देश्य क्या है?
*आदेश प्राधिकरण के डिजिटल पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाएगा।
*आदेश के 15 दिनों के भीतर अतिक्रमण कर्ता को अनधिकृत संरचना को ध्वस्त करने या हटाने का अवसर दिया जाएगा और केवल तभी जब अपीलीय निकाय ने आदेश पर रोक नहीं लगाई है, तो विध्वंस स्टेप वाइज होंगे।
*विध्वंस की कार्रवाई की वीडियोग्राफी की जाएगी। वीडियो को संरक्षित किया जाना चाहिए। उक्त विध्वंस रिपोर्ट नगर आयुक्त को भेजी जानी चाहिए।
* ध्वस्तीकरण से पहले सभी दिशा-निर्देशों का पालन किया जाना चाहिए और इन निर्देशों का पालन न करने पर अवमानना और अभियोजन की कार्रवाई की जाएगी और अधिकारियों को मुआवजे के साथ ध्वस्त संपत्ति को अपनी लागत पर वापस करने के लिए उत्तरदायी ठहराया जाएगा।
*इस मामले का सभी मुख्य सचिवों को निर्देश दिए जाने चाहिए।
* सुप्रीम कोर्ट के ये दिशा-निर्देश उन जगहों पर लागू नहीं होंगे, जहां सार्वजनिक भूमि पर कोई अनाधिकृत निर्माण है, साथ ही वहां भी जहां न्यायालय द्वारा ध्वस्तीकरण का आदेश है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सरकारों की मनमानी से लोगों को बचाने के लिए संविधान में दिए अधिकारों के तहत हमने फैसला दिया है। कानून के अनुसार किसी की संपत्ति मनमाने तरीके से नहीं छीनी जा सकती है। कार्यपालिका, न्यायपालिका की जगह नहीं ले सकती है। न्यायिक कार्य न्यायपालिका को सौंपे गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि राज्य कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसी संपत्तियों को ध्वस्त करता है तो ये सही नहीं होगा।
कार्यपालिका को जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट मानना है कि अगर किसी के सिर्फ आरोपी भर होने से किसी का घर तोड़ा जाता है तो ये संविधान के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा यदि कार्यपालिका किसी व्यक्ति का मकान सिर्फ इस आधार पर गिरा देती है कि वो अभियुक्त है, तो ये कानून के शासन का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभियुक्तों और दोषियों के पास भी कुछ संवैधानिक अधिकार और सुरक्षा उपाय हैं।
Supreme Court issues guidelines on bulldozer action: Governments taking bulldozer action held guilty.
बुलडोजर कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट ने दिये दिशा निर्देश:बुलडोजर कार्यवाही करने वाली सरकारों को ठहराया दोषी।
