I’mDelhi , 17 Jun 2025,
सुप्रीम कोर्ट ने एमटेक समूह के प्रवर्तक अरविंद धाम की तथाकथित 2700 करोड़ बैंक घोटाले के मामले में दायर अंतरिम राहत की मांग संबंधी याचिका खारिज कर दी। जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस पीबी वराले की खंडपीठ ने सवाल किया कि अवकाश के दौरान दूसरी याचिका क्यों दायर की गई? जबकि सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ पहले भी इस याचिका को खारिज कर चुकी है।
ज्ञातव्य हो कि, दिल्ली हाईकोर्ट ने 30 मई 2025को अरविंद धाम की अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। वर्तमान में दिल्ली हाईकोर्ट में उनकी नियमित जमानत याचिका लंबित है। जिस पर 15 जुलाई को सुनवाई होनी है। 7 अप्रैल को भी, सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा आधार पर अरविंद धाम को दी गई अंतरिम जमानत को आगे बढ़ाने से इंकार कर दिया था। इस पर सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने जवाब दिया कि याचिकाकर्ता केवल अंतरिम जमानत मांग रहा है। इस पर जस्टिस मिश्रा ने पूछा, “फिर से, आप अंतरिम जमानत मांग रहे हैं? किस आधार पर?
सीनियर एडवोकेट रोहतगी ने जवाब दिया “दो आधारों पर। संज्ञान लिया जाने वाला था, लेकिन दूसरे पक्ष के कहने पर उच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगा दी। याचिकाकर्ता 10 महीने से अधिक समय से न्यायिक हिरासत में है। जस्टिस मेहता ने प्रश्न किया “जब आपने पहली बार इस अदालत का दरवाजा खटखटाया था तो क्या यही आधार था? जस्टिस मेहता ने स्पष्ट किया, याचिकाकर्ता की यह प्रक्रिया दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं है। यह सब तर्क है । हम याचिकाकर्ता की रणनीति से प्रभावित नहीं हैं! आपकी एसएलपी को इस न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने खारिज कर दिया था, और अब आप इस अवकाश पीठ में शामिल होने की कोशिश कर रहे हैं। एक मामले में वही राहत पाने की कोशिश कर रहे हैं जिसे खारिज कर दिया गया है।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता रोहतगी ने अनुरोध किया कि हाईकोर्ट को अंतरिम जमानत के लिए आवेदन पर तेजी से फैसला करने के लिए कहा जाए। इस पर भी, जस्टिस मेहता ने इनकार कर दिया और सवाल किया कि क्या रोहतगी अदालत से “पर्यवेक्षी क्षेत्राधिकार” का प्रयोग करने के लिए कह रहे हैं।