आज अयोध्या में रामलला का सूर्य अभिषेक धार्मिक अनुष्ठानों के बीच श्रध्दा पूर्वक संपन्न हुआ। भगवान राम का जन्म सूर्य वंश में हुआ था और उनके कुल देवता सू्र्यदेव हैं। जब भगवान राम का जन्म हुआ तब अभिजीत मुहूर्त था और सूर्य देव अपने पूर्ण प्रभाव में थे। इसलिए राम नवमी पर रामलला का सूर्य अभिषेक करने का खास महत्व है। शास्त्रों अनुसार भगवान विष्णु ने चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अपने सातवें अवतार श्री राम के रूप में जन्म लिया था। ऐसे में इस दिव्य दर्शन के लिए इससे शुभ दिन और क्या हो सकता था।
रामलला के सूर्याभिषेक के लिए दर्पण और लेंस की मदद से सूर्य की किरणें परावर्तित कर राम लला के माथे पर प्रतिबिंबित की गई। राम लला के सूर्य तिलक समारोह में वैज्ञानिकों की एक टीम का अहम योगदान रहा। दोपहर 12:6 मिनट पर सूर्य की किरण राम लला के मस्तक पर पड़ी और यह करीब 4 मिनट तक नजर आती रही। शास्त्रों के अनुसार सूर्य की पहली किरण से मंदिर का अभिषेक होना शुभ माना जाता है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नलबाड़ी की सभा के बाद मुझे अयोध्या में रामलला के सूर्य तिलक के अद्भुत और अप्रतिम क्षण को देखने का सौभाग्य मिला। श्रीराम जन्मभूमि का ये बहुप्रतीक्षित क्षण हर किसी के लिए परमानंद का क्षण है। ये सूर्य तिलक, विकसित भारत के हर संकल्प को अपनी दिव्य ऊर्जा से इसी तरह प्रकाशित करेगा।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपनी पत्नी के साथ मुख्यमंत्री आवास पर कन्या पूजन किया। उन्होंने प्रदेशवासियों को रामनवमी की शुभकामनाएं भी दीं।
Surya Abhishek of Ramlala was performed with devotion amidst religious rituals in दोAyodhya.
 
		