Delhi , 26 JUN 2025,
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 26 जून, 2025 को चीन के क़िंगदाओ में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के रक्षा मंत्रियों की बैठक को संबोधित किया। उन्होंने कहा, शांति और समृद्धि, आतंकवाद और गैर-राजकीय तत्वों या आतंकी समूहों के पास सामूहिक विनाश के हथियारों (डब्ल्यूएमडी) के साथ सह-अस्तित्व नहीं रख सकती। इन चुनौतियों से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि जो लोग आतंकवाद को प्रायोजित, पोषित और अपने संकीर्ण व स्वार्थी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करते हैं, उन्हें इसके परिणाम भुगतने होंगे। रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीति के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं। ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए और एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए जघन्य आतंकी हमले के जवाब में आतंकवाद से बचाव और सीमा पार से होने वाले हमलों को रोकने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले के दौरान, पीड़ितों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर गोली मार दी गई थी। संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़े ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने हमले की जिम्मेदारी ली थी। उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले का तरीका भारत में एलईटी के पिछले आतंकी हमलों से मेल खाता है। आतंकवाद के प्रति भारत की शून्य-सहिष्णुता उसके कार्यों के माध्यम से प्रदर्शित हुई है। इसमें आतंकवाद के खिलाफ खुद का बचाव करने का हमारा अधिकार भी शामिल है। हमने दिखाया है कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं और हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे।
रक्षा मंत्री ने सीमा पार आतंकवाद सहित आतंकवाद के निंदनीय कृत्यों के दोषियों, आयोजकों, वित्तपोषकों और प्रायोजकों को जवाबदेह ठहराने और उन्हें न्याय के कटघरे में लाने की आवश्यकता दोहराई। उन्होंने आतंकवाद के हर कृत्य को आपराधिक और अनुचित करार दिया। उन्होंने कहा कि एससीओ सदस्यों को इस बुराई की स्पष्ट रूप से निंदा करनी चाहिए। उन्होंने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों से लड़ने की भारत की प्रतिवद्धता भी व्यक्त की।
रक्षा मंत्री ने युवाओं में कट्टरपंथ के प्रसार को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने का आह्वान किया और इस चुनौती से निपटने में आरएटीएस तंत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि भारत की अध्यक्षता के दौरान जारी किए गए ‘आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को बढ़ावा देने वाले कट्टरपंथ का मुकाबला’ पर एससीओ के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद का संयुक्त वक्तव्य हमारी साझा प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि वैश्वीकरण अपनी गति खो रहा है और बहुपक्षीय प्रणालियों के कमज़ोर होने से महामारी के बाद शांति और सुरक्षा बनाए रखने से लेकर अर्थव्यवस्थाओं के पुनर्निर्माण तक की ज़रूरी चुनौतियों का समाधान करना मुश्किल हो गया है। उन्होंने कहा कि प्रमुख शक्तियों के बीच प्रतिस्पर्धा तेज़ हो रही है और भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता में व्यापार और प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल तेज़ी से औज़ार के तौर पर किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत का मानना है कि बहुपक्षीय मंचों में सुधार लाकर तथा संवाद और सहयोग के लिए तंत्र बनाने से देशों के बीच संघर्ष को रोकने के लिए सहयोग स्थापित करने में मदद मिल सकती है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत का सागर (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) और महासागर (क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास के लिए पारस्परिक और समग्र उन्नति) का दृष्टिकोण विकास और आर्थिक विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाने का प्रमाण है। जिसमें सुरक्षा और स्थिरता सबसे आवश्यक अंग हैं। उन्होंने एससीओ सदस्यों के बीच अधिक सहयोग और आपसी विश्वास के लिए भारत के समर्थन को रेखांकित किया और आज की चुनौतियों से निपटने के दौरान लोगों की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए सामूहिक रूप से प्रयास करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि हमें अपने पड़ोस में स्थिरता और सुरक्षा को मजबूत करने के अपने प्रयास में एक साथ मिलकर काम करना चाहिए।