पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर धरना प्रदर्शन कर रहे आन्दोलनरत किसानों को हटाने की मांग वाली याचिका को आज सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए खारिज कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा , बार-बार एक ही तरह कि याचिका क्यों दाखिल हो रही है? जबकि पहले से ही विभिन्न याचिकाएं दायर हैं। इस संबंध में 5 सदस्यीय हाई पावर्ड कमेटी का गठन किया गया है।
जस्टिस सूर्यकांत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि, ये मुकदमेबाजी केवल प्रचार के लिए हो रही है। इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि किसानों की शिकायतों से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सभी रचनात्मक कदम उठाए हैं। याचिका यात्रियों को हो रही दिक्कत को लेकर है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाते हुए किसानों को कानून और व्यवस्था का पालन करने का आदेश देने का भी मांग की थी। याचिकाकार्ता की दलील थी कि हाईवे को इस तरह ब्लॉक करना लोगों के मूलभूत अधिकारों के खिलाफ है. साथ ही, इसे राष्ट्रीय राजमार्ग कानून और भारतीय न्याय संहिता के तहत अपराध बताया गया था।
कोर्ट ने सख्ती से कहा कि, हम हर चीज से वाकिफ हैं, ऐसा नहीं है कि याचिकाकर्ता अकेला ही समाज का जागरूक रक्षक है और बाकी लोग जागरूक नहीं हैं। बार-बार एक ही मामले पर याचिका दायर न करें। बता दें कि पहले से दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने 5 सदस्यीय हाई पावर्ड कमेटी का गठन किया गया था।
इस कमेटी को किसानों से एमएसपी और दूसरे मुद्दों पर बातचीत करने का निर्देश दिया गया था और पैनल से किसानों से बैरिकेडिंग हटाने के लिए बातचीत करने को भी कहा गया था। इसके साथ ही, कोर्ट ने किसानों से यह भी कहा था कि वे अपने आंदोलन का राजनीतिकरण न करें और अपनी बैठकों में अनुचित मांगें न रखें।
The petition seeking removal of protesting farmers from Shambhu border of Punjab-Haryana was rejected in the Supreme Court.