Delhi 25 August 2025
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी को लेकर दिए गए बयान से अब न्यायपालिका से जुड़े सेवानिवृत्त न्यायाधीशों में आरोप प्रत्यारोप से राजनीतिक माहौल गरमा गया है। इंडिया गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी पर सलवा जुडूम से जुड़े फैसले को लेकर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बयान दिया था। जिसके बाद पूर्व न्यायाधीशों के एक संगठन ने सुदर्शन रेड्डी के समर्थन में गृह मंत्री के बयान को न्यायपालिका पर हमला बताया था। उसी बयान के बाद पूर्व न्यायाधीशों के दूसरे संगठन ने केन्द्रीय गृह मंत्री के बयान और इससे जुड़े अन्य मुद्दों को लेकर बी सुदर्शन रेड्डी पर सवाल उठाए हैं।
दूसरे पूर्व न्यायाधीशों के संगठन ने कहा है कि राजनीतिक घटनाक्रमों पर बार-बार टिप्पणी करना भी एक तरह से न्यायिक स्वतंत्रता का आवरण ओढ़कर राजनीति करने जैसा ही है। जिससे पूरी न्यायपालिका की तटस्थता, निष्पक्षता और गरिमा पर असर पड़ता है। पूर्व जस्टिस बी सुदर्शन रेड्डी के फैसलों की आलोचना पर पूर्व जजों का कहना है कि जब कोई खुद राजनीति के मैदान में उतर चुका है, तो उसे राजनीतिक बहस और विरोध का सामना करना ही होगा। लेकिन इसे न्यायिक स्वतंत्रता पर हमला बताना लोकतांत्रिक चर्चा को दबाने जैसा है। पूर्व न्यायाधीशों के दूसरे संगठन जिसमें सुप्रीम कोर्ट के दो पूर्व मुख्य न्यायाधीशों ने अपने बयान में कहा है कि, हर बड़े राजनीतिक घटनाक्रम पर कुछ अवकाश प्राप्त न्यायाधीश और एक्टिविस्ट बयान जारी कर देते हैं। अप्रत्यक्ष तौर से गृह मंत्री अमित शाह के समर्थन में आए इस संगठन ने आरोप लगाते हुए कहा कि ज्यादातर बयान अलग-अलग राजनीतिक विचारधारा से प्रेरित होते हैं, जिन्हें न्यायपालिका की आजादी का चोला ओढ़कर पेश किया जाता है। इन पूर्व न्यायाधीशों ने कहा कि, बार-बार ऐसे राजनीति से प्रेरित बयानों से यह छवि बनती है कि न्यायपालिका भी राजनीतिक खेमेबाज़ी में शामिल है। आम लोगों के मन में ये धारणा बनना न्यायपालिका के लिए ज्यादा नुकसानदेह है।
केंद्रीय गृह मंत्री क्या है बयान जिसका हुआ विरोध?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सलवा जुडूम पर सुप्रीम कोर्ट में दिए गए फैसले को लेकर पूर्व न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी पर आरोप लगाए थे। केरल में चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री शाह ने भाषण में कहा था कि, विपक्ष के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बी सुदर्शन रेड्डी वही व्यक्ति हैं जिन्होंने नक्सलवाद को बढ़ावा देने वाला निर्णय दिया। शाह ने कहा कि, यदि ऐसा फैसला नहीं आता तो नक्सलवाद वर्ष 2020 तक दे समाप्त हो चुका होता। श्री शाह ने , बी सुदर्शन रेड्डी के फैसले को “उस विचारधारा से प्रेरित” बताया जिसने देश में को नक्सलवाद को हवा दी। .