December 7, 2025

सुप्रीम कोर्ट ने एसआईआर की प्रक्रिया को वैध कार्यवाही बताया,

Delhi 04 December 2025,

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने मतदाता सूची पुनरीक्षण एसआईआर संबंधी मामले पर सुनवाई करते हुए अहम टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने एसआईआर की प्रक्रिया को वैध कार्यवाही बताया है। इसे पूरा करना होगा। अगर कहीं स्टाफ की कमी है तो यह राज्य सर कार्यभारकारों की जिम्मेदारी है। सुप्रीम कोर्ट ने बीएल ओं पर अत्यधिक दबाव और बीएलओं द्वारा आत्म हत्या किए जाने की घटनाओं को देखते हुए कहा है। कोर्ट ने तीन महत्वपूर्ण निर्देश भी जारी किए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, राज्य सरकार द्वारा एसआईआर के लिए चुनाव आयोग को उपलब्ध कराए गए कर्मचारी इन कर्तव्यों का पालन करने के लिए बाध्य हैं। यदि इन्हें अत्यधिककठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, तो राज्य सरकार इन को दूर कर सकती है। वहीं कोर्ट ने राज्यों को साफ निर्देश दिए कि बीएलओ पर दबाव कम करने के लिए अतिरिक्त स्टाफ की तैनाती करें। कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा है कि अगर कोई बीएलओ व्यक्तिगत कारणों से एसआईआर करने में सक्षम नहीं है तो उचित कारणों की स्थिति में उन्हें राहत देने पर विचार किया जाए। उनकी जगह किसी दूसरे को काम पर लगाया जाए।

एसआईआर मामले पर सुनवाई के दौरान बीएलओं के आत्महत्या का मामला सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया गया। सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायण ने बताया कि हमारे पास 35 से 40 बीएलओं की जानकारी है जिन्होंने आत्महत्या की है। ये सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक आदि हैं। रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट के तहत एसआईआर में शामिल कर्मियों को अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए नोटिस भेजी जा रही जिसमें कहा गया है कि यदि वे समय सीमा का पालन नहीं करेंगे तो उन्हें 2 साल की कैद हो सकती है। यूपी में बीएलओ के खिलाफ 50 प्राथमिकी दर्ज की गई हैं।

मामले पर वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि बीएलओ पर दबाव वाकई चिंताजनक है। इतनी जल्दी क्यों? एसआईआर के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने सवाल पूछा कि राज्य सरकारें क्यों नहीं आ रहीं? यदि राज्य सरकारें कठिनाई में हैं तो वे यहां आकर स्पष्ट क्यों नहीं कर रहीं?

सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान तीन अहम निर्देश जारी किए हैं। पहला यह कि काम के घंटे कम करने के लिए ज्यादा स्टाफ रखा जाए। दूसरा, अगर किसी के पास वाजिब कारण है, तो उसकी अपील सुनी जाए। तीसरा, अगर फिर भी समाधान न मिले तो पीड़ित कर्मचारी कोर्ट आ सकता है।

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